अब बिजली नही जा रही क्योंकि उत्तराखण्ड के ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से बातचीत के बाद हड़ताल वापस ले ली गयी है।

देहरादून

ऊर्जा निगम के संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने हड़ताल वापस लेने का ऐलान कर दिया है।ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई थी जिसमें निर्णय लिया गया कि एक महीने के भीतर संयुक्त संघर्ष मोर्चा की मांगों को पूरा कर लिया जाएगा।

बैठक के दौरान संयुक्त मोर्चा के सामने ऊर्जा मंत्री हरक सिंह ने इस बात को कहा कि हाल ही में उन्हें इस विभाग की जिम्मेदारी मिली है, ऊर्जा निगम को एमडी और सचिव भी हाल ही में मिले हैं। लिहाजा विभाग को समझने का थोड़ा समय जरूर मिलना चाहिए। जिसके बाद संगठनों ने आपसी रजामंदी के उपरांत ही हड़ताल को वापस ले लिया है।

वहीं, ऊर्जा कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए सरकार ने सख्त फैसला लेते हुए हड़ताल पर रोक लगा दी थी। सरकार ने उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (उत्तराखण्ड राज्य में यथा प्रवृत्त) (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 30 सन् 1966) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन शक्ति का प्रयोग कर अगले 6 माह के लिए हड़ताल को प्रतिबंधित कर दिया।राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार यूजेवीएन लिमिटेड, उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड में समस्त श्रेणी की सेवाओं में तत्कालिक प्रभाव से हड़ताल पर एस्मा का उपयोग करते हुए रोक लगा दी गयी है।

गौरतलब है कि इस एक्ट के मुताबिक, राज्य या केंद्र सरकारें अपनी जरूरत के हिसाब से इसे लागू कर सकती हैं। एस्मा एक्ट को ऐसे वक्त में लागू किया जाता है जब राज्य में कर्मचारियों की जरूरत अधिक होती है।

आइये आपको बताते हैं कि एस्मा क्या है….

एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (ESMA), 1968 में भारत की संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य उन वस्तुओं की निर्बाध गति को बनाए रखना है जो सामान्य नागरिक के सामान्य जीवन के लिए आवश्यक हैं। एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (ESMA) को अनावश्यक हड़ताल को रोकने हेतु लगाया जाता है।

अगर किसी राज्य में किसी आवश्यक डिपार्टमेंट के कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं और सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है और उनसे हड़ताल ख़त्म करने को कहती है और हड़ताल ख़त्म नहीं की जाती है तो सरकार उनके खिलाफ ESMA के तहत कार्रवाही करती है.लेकिन एस्मा को लागू करने से पूर्व इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्‍य माध्‍यम से सूचित करना होता है।

एक्ट के अनुसार एस्मा को अधिकतम 6 माह के लिए लगाया जा सकता है।लेकिन यदि सरकार चाहे आवश्यकतानुसार वह इसे कितने भी समय के लिए बढ़ा भी सकती है।

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