देवी भागवत के छठवें दिन आचार्य सुरेंद्र सुंदरियाल ने भगवती पूजन की तिथि एवम वारों के हिसाब से भोग के महत्व का वर्णन किया

देहरादून

डालनवाला जन कल्याण समिति एवम ईष्ट देव सेवा समिति द्वारा पिछले 6 दिनों से लगातार विश्व देश प्रदेश के कल्याण हेतु दिव्य श्रीमद् देवी भागवत कथा जारी है।

मां धारी देवी नागराजा उपासक आचार्य श्रित सुरेंद्र प्रसाद सुंद्रियाल महाराज द्वारा मां भगवती की सुंदर कथाओं का वर्णन किया जा रहा है।

वीरबार को महाराज ने कथा में बताया कि श्रीमद् देवी भागवत में देवताओं के द्वारा मां भगवती की बड़ी ही सुंदर स्तुति की गई ततपश्चात प्रसन्न होकर मां भगवती ने विराट रूप ले लिया जिससे समस्त देवता प्रसन्न हुए और राजा हिमालय को परम पद की प्राप्ति कराई। व्यास महाराज ने राजा जनमेजय को दिव्य देवी कथा का वर्णन श्रेष्ठ मुक्ति वर्णन, देवी तीर्थ व्रत की कथा, विभिन्न दीपों की कथा, गंगा आदि नदियों का वर्णन ,सूर्य एवं चंद्रमा की गति का वर्णन ,28 नरको कानाम एवम वर्णन बताया जिसमें भगवान नारायण अपने श्री मुख से बोलते हैं कि जो पुरुष दूसरे के धन स्त्री और संतान का हरण करता है उस दुष्ट आत्मा को यमराज के दूतों द्वारा पकड़कर ले जाया जाता है। अत्यंत भयंकर रूप वाले यमदूत उसे कालपास में बांधकर ले जाते हैं और यात्रा भोगने के भयावह ता मिस्त्र नामक नरक में गिरा देते हैं।नारायण बोलते हैं कि देवर्षि विपत्ति का समय ना रहने पर भेजो अपने वेद मार्ग से हटकर पाखंड का आश्रय लेता है उस पापी पुरुष को यमदूत असिपत्र नामक नर्क में डाल देते है। तत्पश्चात पूज्य व्यास जी ने देवी उपासना का महत्व भी बताया।

कथा के मध्य महाराज ने मां भगवती ईष्ट देवी के श्री चरणों में विशेष आस्था रखने वाले भक्तों को मां भगवती की पूजन की तिथि एवं वारो का विधिवत वर्णन बताया जिसमें शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि में घृत ( घी) से देवी की पूजा करनी चाहिए द्वितीय तिथि में शक्कर ,तृतीया तिथि में दूध, चतुर्थी तिथि में पुआ, पंचमी तिथि को केले का फल, षष्ठी तिथि को मधु अर्थात शहद प्रधान बताया गया है ,सप्तमी तिथि को भगवती का गुड़ का नैवेद्य जो भक्त अर्पित करता है उसके समस्त मानव हर्षित होते हैं। अष्टमी को नारियल, नवमी को लावा (खील) ,दशमी को काले तिल एकादशी के दिन दही, द्वादशी के दिन चीउडे का भोग ,त्रयोदशी तिथि पर चना, चतुर्दशी तिथि पर सत्तू, एवं जो भक्त पूर्णमासी तिथि पर मां भगवती को शुद्ध दूध से बनी खीर मां भगवती को अर्पण करता है एवं ब्राह्मणों को दान करता है वह अपने सभी पुत्रों का उद्धार कर देता है। तत्पश्चात महाराज ने सप्ताहा वालों में चढ़ने वाले प्रसाद की महिमा का वर्णन श्रोताओं को श्रवण कराया रविवार को मां भगवती को खीर अर्पण भी करें सोमवार को दूध ,मंगलवार को केले का भोग लगाए, बुधवार को ताजे मक्खन से मां भगवती को भोग लगाना चाहिए, गुरुवार को रक्त शक्कर, शुक्रवार को श्वेत शक्कर, शनिवार को गाय का घी भोग के रूप में श्रेष्ठ बताया गया है, इस प्रकार से जो भक्त मां भगवती के सुंदर तिथि एवं वारो को मां भगवती को नैवेद्य भोग प्रसाद अर्पण करता है उन पर मां भगवती विशेष कृपा रखती हैं एवं समस्त भक्तो की सम्पूर्ण मनोकामनाएं सिद्ध करती है।

तत्पश्चात महाराज ने सुंदर भजनों से माहौल को भक्तिमय कर दिया कथा विराम के पश्चात सुंदर आरती का आयोजन किया गया जिसमें समस्त भक्तों एवं मुख्य यजमान टीटू त्यागी व उनके परिवार ने प्रतिभाग किया।

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