यौन उत्पीडन के विरोध में महिला पहलवानों के समर्थन में जुटे विभिन्न संस्थाओं के लोगो ने दून डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

देहरादून

राज्य की राजधानी देहरादून में जिलाधिकारी कार्यालय में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े कार्यकर्ता एकत्र हुए। सभी ने मिलकर एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन को के राष्ट्रपति को प्रेषित किया।

ज्ञापन में कहा गया कि जंतर-मंतर विरोध करने वाले न मजदूरों का है, न किसानों का, न दलितों का न मुसलमानों का। छात्रों का भी नहीं।

इस बार जंतर-मंतर, सडक पर वे हैं जिन्हें राष्ट्रीय गौरव कहा जाता है। ये ओलंपिक पदक विजेता पहलवान हैं। महिला पहलवान जिनके साथ उनके पेशे के कुछ पुरुष साथी भी हैं। उनका आरोप है कि उनके साथ और अनेक महिला पहलवानों का उनके संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह ने यौन उत्पीड़न किया है।

यह आंदोलन का दूसरा चरण है। वे कई महीने से माँग कर रही हैं कि इन आरोपों की जाँच करवाई जाए, संघ के अध्यक्ष के खिलाफ एफ०आई०आर० की जाए और उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया जाए क्योंकि उनके वहाँ रहते निष्पक्ष जाँच संभव नहीं, लेकिन उनमें से कोई भी माँग पूरी न होने पर उन्हें दोबारा सड़क पर आना पड़ा। बहुत खींचतान के बाद एक समिति बनी लेकिन उसने भी अपना काम नहीं किया तब जाकर पहलवानों को दुबारा सड़क पर उतरना पड़ा। 6 बार सांसद रह चुके ब्रजभूषण सिंह पर पहले से कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। हमारे देश में हत्या से अधिक अनैतिक बलात्कार को माना जाता है। लेकिन बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा बोलने वाले मुंह सिल कर बैठे हैं।

जब भी कोई इंसान कोई कौम अपने ऊपर होने वाले शोषण, उत्पीड़न या किसी भी नाइंसाफी के खिलाफ एक जुट आवाज उठाती है तो उनके विरुद्ध हिंसा का वातावरण तैयार किया जाने लगता है। पिछले कुछ सालों में हम देखें तो किसानों ने इस हिंसा को झेला, एनआरसी और सीएए का विरोध करने वाले मुसलमानों ने इसका सामना किया, छात्रों ने इसका मुकाबला किया और आज उन महिला पहलवानों को इससे जूझना पड़ रहा है, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रौशन किया है।

आम तौर पर यौन उत्पीड़न के मामले में पुलिस को तत्काल रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए। 2012 के आंदोलन के बाद इस मामले में कानून और स्पष्ट है, लेकिन इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय को दिल्ली पुलिस को निर्देश देना पड़ा, तब जाकर एफआईआर दर्ज की गई। उससे पहले दिल्ली पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही थी। जबकि महिला पहलवान लगातार उनके साथ दुराचार करने वाले बृजभूषण का नाम लेती रही है। अब खिलाड़ियों का मानना है कि बृजभूषण की गिरफ्तारी हो जब तक सिंह की गिरफ्तारी नहीं होती, वे नहीं हटेंगी। कई बार वहाँ की बिजली काट दी गई, उन्हें खाना पानी देने वालों को गार कर भगाया गया।

आज हम सभी को इस बात को समझने की जरूरत है कि यह संघर्ष मात्र खिलाडियों का नहीं है। बल्कि यह सोचने की जरूरत है कि कल किसी का भी नंबर आ सकता है। 28 मई को इस देश में नए संसद भवन के नाम पर जो हुआ वह पूरी दुनिया ने देखा। एक और लोकतंत्र के तमाम मूल्यों को दरकिनार कर संसद के रास्ते तानाशाह राजा को स्थापित किए जाने के जयघोष मनुवादी, धर्मांध रूढ़ियों को थोपने का प्रहसन किया गया तो दूसरी ओर लोकतंत्र की आवाजों को कुचलने के लिए पूरे शहर को छावनी में बदल दिया गया।

पहलवानों ने जब नए संसद भवन की ओर महिला महापंचायत आयोजित करने के लिए कदम बढ़ाए तो उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा जिस तरह से रोका गया इसको भी पूरी दुनिया ने देखा। दिल्ली पुलिस जो भी आरोप लगाए इस संबंध में जो फोटो और वीडियो आए हैं, वो अपने आप में सबूत हैं। जंतर-मंतर पर इस घटनाक्रम को कवर कर रहे किसी भी फोटो जर्नलिस्ट, यूट्यूबर के पास ऐसा कोई फोटो या वीडियो नहीं है, जिसमें पहलवान हिंसक हुए हों। लेकिन दिल्ली पुलिस ने बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई।

जंतर-मंतर पर अब धरना ना करने देने के लिए पुलिस द्वारा चेतावनी जारी कर दी गई है और वहां मौजूद सामान हटवा दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि जंतर-मंतर पर हलचल अब समाप्त हो चुकी है। लेकिन पहलवानों ने कहा कि वे यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखेंगे। विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने देश के लिए मेडल लाने वाली इन महिला पहलवानो को जिस तरह राष्ट्र विरोधी गतिविधि में शामिल होने वाला बताया क्या वह बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।

पहलवानों ने दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर सवाल उठाया है। सांसद बृजभूषण सिंह का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति ने नए संसद भवन के उद्घाटन में शिरकत की। एफ०आई०आर० पर प्रतिक्रिया देते हुए विनेश फोगाट ने कहा कि एक नया इतिहास लिखा जा रहा है।

दिल्ली पुलिस यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में सात दिन लेती है लेकिन शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए हमारे खिलाफ FiR दर्ज करने में सात घंटे भी नहीं लेती है। क्या देश तानाशाही नहीं चला गया है? पूरी दुनिया देख रही है कि सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ कैंस व्यवहार कर रही है। वास्तव में आज देश क्या दुनिया देख रही है कि रोज-रोज किस तरह भारत में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है।

उत्तराखंड महिला मंच पहलवानों की लड़ाई को समर्थन देते हुए मांग करता है बृजभूषण को बिना शर्त तत्काल गिरफ्तार किया किया जाय। पहलवानों के खिलाफ दायर एफआईआर रद्द की जाए। हम देश के प्रधान मंत्री की इस विषय में साधी गई चुप्पी पर भी प्रश्न करते हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा सड़क पर जिस तरह महिला पहलवानों को घसीटा गया उसकी निंदा करते हुए उन्हें तत्काल न्याय दिए जाने की मांग करते हैं।

ज्ञापन देने वालों में उत्तराखंड महिला मंच की

निर्मली बिष्ट,हेमलता नेगी पुरोहित, सरला,कमलेश्वरी, वडा

शान्ती सेगवाल,शान्ता नेगी,रुकमणी चौहान,वीना डगवाल, किरन पुरोहित,सुनीता सेमवाल,विजय नैशाली,सुरेश कुमार, दममती नेत्री प्रान्तीय महामंत्री अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति इन्दु नौडियाल प्रांतीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति,मनोज ध्यानी,हरेंद्र सिंह आदि के साथ सैकड़ों लोग मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.