उत्तराखंड में बुजुर्गों की अनदेखी पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल

देहरादून/नैनीताल

नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में वरिष्ठ नागरिकों की अनदेखी को लेकर राज्य के सभी जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को नोटिस जारी किया है।

हाईकोर्ट ने पूछा है कि वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिए पुलिस प्रशासन क्या कर रहा है? पुलिस प्रशासन से चार सप्ताह में नोटिस का जवाब मांगा गया है। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक कुमार वर्मा कर रहे हैं।

देहरादून निवासी एडवोकेट विकेश नेगी याचिकाकर्ता ने प्रदेश में अभिभावकों का भरण पोषण एवं कल्याण तथा वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2007 का हवाला दिया है। उत्तराखंड में यह एक्ट 2011 को लागू किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार और पुलिस वरिष्ठ नागरिकों के प्रति जवाबदेही को लेकर गंभीर नहीं है। कोविड-काल में सबसे अधिक प्रभावित अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिक हुए हैं। इसमें समाज कल्याण विभाग के साथ ही पुलिस विभाग को भी अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करना होगा।

एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार एक्ट की पालना नहीं हुई है। एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए सदस्य भी बना दिये गये हैं। पुलिस को हर महीने में एक बार हर महीने में मोहल्ले में रहने वाले बुजुर्गों की बैठक लेने का प्रावधान है। लेकिन पुलिस ऐसा नहीं कर रही है। इसके अलावा सभी रिहायशी कालोनियों में पुलिस को सीनियर सिटीजन्स की लिस्ट तैयार करनी थी। लेकिन पुलिस इसमें भी लापरवाही बरत रही है। अकेले रह रहे बुजुर्गों को बीमार होने पर उनको अस्पताल ले जाने की जिम्मेदारी भी पुलिस की ही है।

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