मीरी पीरी के मालिक छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी का पावन प्रकाश पर संगतो ने घरों में रहकर श्री सुखमणी साहिब के पाठ कर एवं श्री दरबार साहिब अमृतसर से लाइव कथा कीर्तन श्रवण कर मनाया।
सिख सेवक जत्था द्वारा अपना 58 वां वार्षिक कार्यक्रम गुरु हरगोबिंद साहिब का प्रकाश पर्व घरों में रहकर श्री सुखमणी साहिब के पाठ कर सादगी पूर्वक मनाया। प्रातः 3 बजे से दरबार श्री अमृतसर से भाई ओंकार सिंह एवं भाई जगतार सिंह द्वारा लाइव कीर्तन में शब्द “दीन दूनी दा पातशाहा, पातशाह अडोला , दस्तगीर होए पंज पीर हर गुर हरगोविंद अतोला” आदि को श्रवण किया।
गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा के हैड ग्रंथी भाई शमशेर सिंह ने यूट्यूब पर कथा करते हुए कहा कि गुरु जी ने मीरी एवं पीरी की दो तलवारें पहनकर भक्ति एवं शक्ति का मेल किया। गुरु साहिब ने सिखों के फैसले करने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना की। गुरु साहिब ने चार धर्म युद्ध किए और उन में विजय प्राप्त की। गुरु जी द्वारा ग्वालियर के किले से 103 राजाओं को बदीमुक्त करवाने के कारण वे बंदी छोड़ दाता कहलवाये गए। जत्थे के प्रधान गुलजार सिंह ने संगत को गुरु जी के प्रकाश पर्व की बधाई दी।