उत्तराखंड की वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी का हरिद्वार में पुत्रों ने किया अंतिम संस्कार,दून से हरिद्वार तक पुष्प वर्षा के बीच अश्रुपूरित नेत्रों से दी गई श्रद्धांजली

देहरादून/हरिद्वार

वरिष्ठ आंदोलनकारी,पूर्व महिला आयोग की अध्यक्ष रही अधिवक्ता सुशीला बलूनी की शव यात्रा को उनके आवास से नेशविला रोड तक कंधे पर लाने के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को एक फूलों से सजे हुए रथ रूपी वाहन में चित्र कचहरी परीसर शहीद स्मारक पर लाकर राज्य आंदोलनकारियों, बार एसोसिएशन देहरादून के सदस्यों एवं विभिन्न राजनीतिक दल के लोगों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि दी गईl शहीद स्मारक पर स्व सुशीला बलूनी को दून पुलिस द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।नेशविला रोड आवास से शुरू हुआ सिलसिला शहीद स्मारक और हरिद्वार में अंत्येष्टि से पूर्व “जब तक सूरज चांद रहेगा” “सुशीला बलूनी तेरा नाम रहेगा” के नारों के साथ शव यात्रा हरिद्वार तक जारी रहा।

राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी को अश्रुपूर्ण विदाई हुई।

हरिद्वार में उनके तीनो पुत्रो ने संयुक्त रूप से मुखाग्नि दी।

छोटे पुत्र विजय बलूनी द्वारा अंतिम संस्कार व क्रिया का कार्य किया।

हरिद्वार जिला प्रशासन के अपर जिलाधिकारी व उप जिलाधिकारी के साथ पुलिस उपाधीक्षक मौजूद रहे और पुष्प चक्र के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

अंतिम दर्शन व श्रद्धांजली देने हेतु हरिद्वार के विधायक व पूर्व मंत्री मदन कौशिक घाट पर मोजूद रहे।

बुधवार को श्रद्धांजलि देने वालों में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही सुशीला बलूनी के भतीजे व यमनोत्री के विधायक संजय डोभाल , कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, कैबिनेट मंत्री सौरव बहुगुणा, डोईवाला विधायक बृजभूषण गैरोला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा, पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, केंट विधायक सविता कपूर , विधायक किशोर उपाध्याय, पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत , देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा, राज्य आंदोलनकारी पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत, पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी उपनिबंधक रविंद्र मंद्रवाल, पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी व कई अधिकारियों के साथ ही अशोक वर्मा,विवेकानंद खंडूरी, रविंद्र जुगराण, वीरेंद्र पोखरियाल ,उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन नेगी, रामलाल खंडूरी, देहरादून के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती , जयदीप सकलानी , यशवंत रावत , धर्मेन्द्र रावत , नरेन्द्र राणा , विपिन नेगी , शांति भट्ट , बी डी रतूड़ी , मनमोहन नेगी , विरेन्द्र रावत , वीर सिंह रावत , सतेन्द्र नोगाइ, मोहन रावत , जीतमणि पैन्यूली, पूरण सिंह लिंगवाल, विनोद असवाल , सुमित थापा , विक्रम भंडारी सुनील ध्यानी , शक्तिसेल कपरवान, सहित कई महिला आंदोलनकारी रामेश्वरी बर्थवाल, पुस्पलता सिलमाना, उषा नेगी , निर्मला बिष्ट , आशा बहुगुणा , गीता बिष्ट , विजय लक्ष्मी गुसाई , पदमा गुप्ता , सोनिया आनन्द,रेनू नेगी सैकड़ों राज्य आंदोलनकारी उपस्थित थे।

बताते चलें कि सुशीला बलूनी का जन्म मूल रूप से बडकोट के चक्र गांव जिला उत्तरकाशी में था।

उनका विवाह स्व० नन्दा दत्त बलूनी से जिला पौड़ी गढ़वाल में यमकेश्वर ब्लॉक के ग्राम वरगड़ी में हुआ था।

वह लम्बे समय तक देहरादून बार एसोसिएशन की सदस्य भी रही।

वह जनता दल में रहते हुए 1979 में देहरादून नगर पालिका की नामित सभासद भी रही। उसके उपरान्त वह उक्रांद में शामिल हो गई। पृथक उत्तराखण्ड राज्य की

मांग के लिए आंदोलन की लड़ाई में कचहरी प्रागण में धरने पर बैठने वाली प्रथम महिला थी उस समय उनके साथ रामपाल और गोविन्द राम ध्यानी भी थे।

वह संयुक्त संघर्ष समिति की महिला अध्यक्ष के रूप में लगातार संघर्ष रत रही। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान वह पूरे प्रदेश के भ्रमण व लखनऊ से लेकर दिल्ली तक संघर्षरत रही।

वह शराब बंदी से लेकर महिलाओं के उत्थान से लेकर राज्य आंदोलन के लिए जेल भरो , रेल रोको , धरना प्रदर्शन आदि में मुख्य भूमिका निभाई।

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