दुग्ध उत्पादकों का सरप्लस दुध को दुग्ध संघ को दे सकता है …डाॅ. धन सिंह

देहरादून
सहकारिता, दुग्ध विकास एवं उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ धन सिंह रावत ने कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर प्रदेशभर में लाॅकडाउन की स्थिति को देखते हुए दुग्ध उत्पादकों से दुग्ध संग्रहण एवं उपभोक्ताओं को दुग्ध व दुग्ध उत्पादों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक बुलाई। बैठक में दुग्ध विकास मंत्री डा. धन सिंह रावत ने दुग्ध उत्पादकों को राहत देते हुए दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन धनराशि का भुगतान अब सहकारी दुग्ध समिति के माध्यम से करने के निर्देश दिये। वहीं उन्होंने निदेशालय स्तर पर एक कंट्रोल रूम स्थापित करने के भी निर्देश दिये। ताकि दुग्ध आपूर्ति से संबंधित समस्या का तत्काल समाधान किया जा सके।
कोरोना वायरस (कोविड-19) की रोकथाम को लेकर समूचा प्रदेश लाॅकडाउन किया गया है। ऐसी स्थिति में अति आवश्यक सेवाओं को सरकार द्वारा जारी रखा गया है। जिसके चलते प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने प्रदेश में दुग्ध और दुग्ध पदार्थों की निर्बाध आपूर्ति को लेकर आज अपने आवास पर विभागीय समीक्षा बैठक बुलाई। दुग्ध विकास मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने बैठक में विभागीय अधिकारियों से कई बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान डाॅ. रावत ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि सहकारी दुग्ध समितियों के माध्यम से नियमित रूप से दुग्ध संग्रहण करते हुए अधिक से अधिक दुग्ध उपार्जन किया जाय। उन्होंने कहा कि यदि किसी दूध उत्पादक के पास सरप्लस दूध है तो वह सहकारी दुग्ध समिति की सदस्यता ग्रहण कर दुग्ध संघ या दुग्ध समिति को दूध विक्रय कर सकता है।
बैठक में दुग्ध विकास मंत्री ने सहकारी दुग्ध समिति के दुग्ध उत्पादकों को राहत पहुंचाते हुए उन्हें दुग्ध समितियों के माध्यम से दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन धनराशि का भुगतान करने की बात कही। जबकि वर्तमान में यह धनराशि डी.बी.टी. व्यवस्था के माध्यम से दी जाती थी। वहीं बैठक में दुग्ध विकास मंत्री ने दुग्ध उत्पादकों को पशुचारा, पशु आहार, भूसा एवं साईलेज की मांग के अनुसार आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिये।
दुग्ध डाॅ. रावत ने दुग्ध उपभोक्ताओं की समस्या को देखते हुए अधिकारियों को दूध एवं दुग्ध उत्पादों को डोर टू डोर आपूर्ति करने के निर्देश दिये। वहीं उन्होंने कहा कि दुग्ध संघों में उपार्जित सरप्लस दूध को मेरठ या हरियाणा के दुग्ध संयंत्रों में एस.एम.पी. एवं व्हाईट बटर में परिवर्तित कराया जाय। ताकि इसका उपयोग आॅचल अमृत योजना में किया जा सके।

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