देहरादून
फूलों की पंखुड़ियों में, संगीत की ताल में, कदमों की रफ़्तार में, तालियों की आवाज में, चिड़ियों की आवाज में, नृत्य की मुद्रा में, बाजार में, घर में, नाश्ते की टेबल से लेकर स्कूल पहुँचने तक, खेतों में, बिल्डिंग में, बाजार में, खेल में, प्यार में गुस्से में कहाँ नहीं है गणित। लेकिन हम इससे अनजान हैं शायद. कभी हमने सोचा नहीं कि क्या पशु पंक्षियों को, जानवरों को गिनती आती है। कितने मुहावरों में गणित है और कितने गणितीय मुहावरों का प्रयोग करते हैं हम रोजमर्रा के जीवन में हमने इस तरफ ध्यान दिया नहीं दिया और गणित की मजेदारी से दूरी बनाते हुए गणित के डर को दिल में बसा बैठे. बस इस डर को निकालना है और मजेदारी को अपना लेना है. यह बातचीत तमाम रोचक गतिविधियों के साथ शिक्षक साथियों से की दिल्ली से आये वरिष्ठ रंगकर्मी, शिक्षाविद सुभाष रावत ने। उन्होंने कहा कि गणित में पैटर्न का बहुत महत्व है. जैसे ही हमारा दिमाग जिन्दगी के किसी भी मौके पर कहीं भी पैटर्न को पहचानने लगता है तो इसका अर्थ है कि गणित सीखने के लिए दिमाग तैयार है ।
यह बातचीत हो रही थी फ़रगर प्राइमरी एवं जूनियर हाई स्कूल में होने वाली 3 दिवसीय शिक्षक चौपाल के दूसरे दिन में. इस अवसर पर रायपुर ब्लॉक के 7 शिक्षकों ने शुरूआती गणित शिक्षण पर अपने रिसर्च के पर्चे पढ़ें, जोड़ या घटाना, स्थानीय मान की समझ हो यह सब कैसे मजेदार खेलों और गतिविधियों में तब्दील हो जाता है यही शिक्षकों की साझेदारी शिक्षक साथियों ने बताया कि किस तरह सिक्कों का खेल हो या बच्चों को दुकान वाला खेल खेलने से बच्चों ने मजे मजे में संख्याओं के संग खेलना सीखा. इस तरह गणित को लेकर भय भी कम होता है और सीखना सहज भी होता है। अपने अनुभवों में शिक्षक साथियों ने यह भी साझा किया कि शुरुआती स्तर पर अगर बच्चों को गणित से दोस्ती कराने में हम सफल हो सकें तो आगे भी बच्चों के लिए काफी आसानी हो जाती है. और गणित किस तरह रोजमर्रा के कामकाज में जीवन में उपयोगी है यह बात भी इन पर्चों में उभरकर आई।
इस अवसर पर पूजा गोस्वामी, सुषमा नेगी, पारेश्वरी देवी, विनीता शर्मा, विनीता रावत, अंजली सेठी और मधु तिवारी ने अपने पर्चे पढ़े. ज्यादातर शिक्षकों के लिए इस तरह के किसी सेमिनार में पर्चा पढने का यह पहला अवसर था इसलिए उनका संकोच काफी ज्यादा था लेकिन उस संकोच में उत्साह भी मिला हुआ था। पर्चों की प्रस्तुति के बाद शिक्षक साथियों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया काफी अच्छी थी और इसका उपयोग वे अपनी कक्षाओं में भी कर सकेंगे। इस मौके पर रायपुर ब्लॉक के करीब 35 शिक्षक साथी उपस्थित थे. अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, कार्यक्रम की रूपरेखा और शिक्षक चौपाल की अवधारणा के बारे में बताया प्रतिभा कटियार ने और कार्यक्रम का संचालन अर्चना थपलियाल ने किया।