मेले में उमड़ी भीड़ ने बताया हस्तशिल्पियों की कला का मायना,नाबार्ड हस्तशिल्प मेले का आठवां दिन

देहरादून
नाबार्ड हस्तशिल्प मेला 2023 में आठवें दिन पूर्व सीजीएम ने प्रतिभाग किया और हस्तशिल्पियों के स्टॉल्स पर निरीक्षण कर उनसे बातचीत भी की।
उन्होंने कहा कि मेले में सुदूर जिलों से हस्तशिल्पी महिलाओं ने इस मेले में पहुंचकर हस्तशिल्प के इस आयोजन को सफल बना दिया। हालांकि भारत के साथ ही उत्तराखंड के हस्तशिल्प ने दुनिया भर में भारी डिमांड पैदा की है।
इस मौके पर भारतीय ग्रामोत्थान संस्था के प्रभारी अनिल चंदोला
पूर्व सीजीएम भास्कर पंत ने मेले का भ्रमण कर हस्तशिल्पियों से उनके अनुभव शेयर किए।
उन्होंने बताया कि मेले में सुदूर प्रांतों से आए हस्तशिल्पियों की मेहनत रंग लाई देहरादून के हस्तशिल्प के कद्रदान पूरी तरह मेले को सफल बना गए।
उनकी मेहनत का उनको मुआवजा मिला। उन्होंने प्रसन्न होकर दून के लोगो का आह्वाहन किया कि आप सभी की ऐसे ग्राहकों की बदौलत ही हस्तशिल्पयों की रोजी रोटी चलती है।
1नवंबर से रेसकोर्स श्री गुरु नानक गर्ल्स स्कूल ग्राउंड में नाबार्ड हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया गया।
बताते चलें कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण, संस्थान निर्माण और विकासात्मक पहलों के माध्यम से प्रभावशाली हस्तक्षेप के 4 दशक पूरे कर लिए हैं। नाबार्ड ने कृषि – वित्त, बुनियादी ढांचे के विकास, बैंकिंग प्रौद्योगिकी, एसएचजी और जेएलजी, एफपीओ, ओएफपीओ और अन्य के माध्यम से माइक्रोफाइनेंस और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देकर भारतीय गांवों में जीवन बदल दिया है।
नाबार्ड ने गैर कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रचार की योजनाएं विकसित की हैं। नाबार्ड आधारभूत स्तर पर आवश्यकता के अनुसार, अपनी योजनाओं को बनाने, परिष्कृत और तर्कसंगत बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। उन कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो कौशल के विकास को सक्षम बनाते हैं, विपणन के लिए अवसरों को बढ़ावा देते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे, कुटीर और ग्रामीण उद्योगों, हथकरघा, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प और सेवा क्षेत्र के उत्पादकों के समूहों को बढ़ावा देते हैं।

 


उत्पादकों को बेहतर विपणन में मदद करने के लिए, नाबार्ड ग्रामीण हाट, मार्ट स्थापित करने और क्षेत्रीय, राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में कारीगरों और शिल्पकारों की भागीदारी बढ़ाने के लिए समर्थन दे रहा है जिसके लिए ऐसे मेलों का आयोजन किया जाता रहा है।
इससे कई एसएचजी/एफपीओ/ ओएफपीओ/कारीगरों को शहरी बाजारों तक पहुंचने में मदद मिली है। प्राप्त अनुभव ने उन्हें उभरते बाजार की प्राथमिकताओं के अनुरूप अपनी उत्पाद श्रृंखला और विपणन रणनीतियों को बेहतर बनाने में मदद की है।
उत्तराखंड राज्य सहित देश के विभिन्न हिस्सों से कारीगरों द्वारा अपने राज्य के प्रमुख हस्तशिल्प उत्पादों सहित हस्तशिल्प मेले में सहभागिता कर रहे हैं। हस्तशिल्प मेले में 60 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए।
मेले में विभिन्न उत्पाद जैसे- कश्मीर का पश्मीना शाल, हिमाचल प्रदेश का गिलोय मिश्रित अचार तथा हिमाचली टोपी, झारखंड की जादोपटिया तथा सोहराय चित्रकारी, कर्नाटक बीड आभूषण, मध्यप्रदेश के बाग प्रिंट उत्पाद, पंजाब के फुलकारी सूट, राजस्थान के बागरु हैंड ब्लॉक प्रिंट (जीआई) उत्पाद , तेलंगाना के कढ़ाईगीरी उत्पाद, उत्तरप्रदेश के टेराकोटा तथा जूट उत्पाद, हरियाणा की जयपुरी रज़ाई तथा सुजनी आदि मुख्य आकर्षण के रूप में उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मेले में उत्तराखंड के सभी जीआई (GI) उत्पाद यथा तेजपात, बासमती चावल, ऐपण, दन, मूंसयारी राजमा, रिंगाल, टमटा उत्पाद, थुलमा एवं च्यूरा से निर्मित सामग्री भी प्रदर्शित की गई जिसकी जोरदार बिक्री से दुकानदार और हस्तशिल्पी गदगद दिखे।
मेले में प्रदर्शनी तथा बिक्री में देश भर के हस्तशिल्पि अपनी गतिविधियों में व्यस्त हैं इसके साथ ही कुछ हस्तशिल्प मौके पर ही अपने उत्पाद बना रहे हैं।
इस अवसर पर एजीएम एचपी चंदेल, डीजीएम सुमेर चंद,ग्रामीण बैंक , पशुपालन विभाग के अधिकारी और भारतीय ग्रामोत्थान संस्था के प्रभारी अनिल चंदोला,अरुण चंदोला,केशव लखेड़ा,जितेंद्र कुमार आदि उपस्थित रहे।

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