सूचना तकनीक के चिकित्सकीय प्रयोग को IIRS के साथ मिलकर काम करेंगे…प्रो रविकान्त निदेशक एम्स

अ​खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में भौगोलिक सूचना प्रणाली विषय पर आयोजित कार्यशाला में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर बीमारियों को चिन्हित करने पर बल दिया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में इस प्रणाली के उपयोग से बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है।
एम्स के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मास्टर ऑफ पब्लिक हैल्थ विषय को केंद्रित करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि स्वास्थ्य शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में तकनीकियों का बखूबी इस्तेमाल विशेष लाभदायक होता है। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि लाइलाज बीमारी के रूप में पैर पसार रहे कैंसर के कारणों की तह पर जाने के प्रयास और अधिक गंभीरता से करने होंगे। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेन्सिंग के साथ समन्वय बनाने की बात कही, जिससे इस दिशा में संयुक्तरूप से शोध कार्य कार्य किया जा सके।
कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेन्सिंग, देहरादून के निदेशक डा. प्रकाश चौहान ने कहा कि भौगोलिक सूचना प्रणाली का इस्तेमाल न केवल अंतरिक्ष कार्यक्रमों में हो रहा है, बल्कि यह प्रणाली चिकित्सा क्षेत्र में भी बहुउपयोगी है। उन्होंने पीजी छात्र-छात्राओं को भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग से होने वाले लाभ से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि यह पद्धति चिकित्सा क्षेत्र में प्रशिक्षण, शिक्षा और अनुसंधान आदि में कारगर है। उन्होंने विद्यार्थियों को किसी खास क्षेत्र में पैर पसार रही डेंगू बीमारी को मैप के आधार पर चिन्हित करने की विधि भी बताई।
कार्यशाला को आईआईआरएस के डिपार्टमेंट ऑफ जियो इन्फोरमैटिक के एचओडी डा. समीर शरण, विशेषज्ञ डा. शिवा रेड्डी, डा. पीए वर्मा ने भी व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली किस प्रकार कार्य करती है और संबंधित बीमारी किस तरह से वातावरण को प्रभावित कर सकती है। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि किसी बीमारी से प्रभावित क्षेत्र विशेष को किस तरह से हम मानचित्र पर चिन्हित कर रोकथाम के कदम उठा सकते हैं। एम्स के डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं का निरंतर आयोजन किया जाएगा,जिससे संस्थान के सभी विभाग लाभान्वित हो सकें। कार्यशाला में सीएफएम विभाग की प्रो. वर्तिका सक्सैना, डा. मीनाक्षी खापरे, डा. अजीत भदौरिया के अलावा मास्टर ऑफ पब्लिक हैल्थ व पोस्ट ग्रेजुएट इन कम्यूनिटी एंड फेमिली मेडिसिन के विद्यार्थी भी आदि मौजूद थे।

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