ब्राह्मण समाज के युवाओं के लिए आयोजित अपनी सभ्यता,संस्कृति और धर्म की रक्षा की प्रेरणा हेतु आयोजित की गई कार्यशाला सम्पन्न

देहरादून

 

भगवान परशुराम के शिष्य आचार्य द्रोणचार्य की तपस्थली

द्रोण नगरी के टपकेश्वर धाम में युवा वर्ग को अपनी सभ्यता,संस्कृति एवं धर्म की रक्षा की प्रेरणा देने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परमपूज्य श्री108 महंत कृष्णा गिरी महाराज व विशिष्ट अतिथि दिगम्बर भरत गिरी,आचार्य शिवप्रसाद ममगाई जी,परशुराम अखाड़ा से स्वामी रुद्रानंद महाराज तथा समिति के संरक्षक रामनरेश शर्मा ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

 

समिति के केंद्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा की ब्राह्मण समाज सदैव सभी के कल्याण के लिए कार्य करता है।

सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना से कार्य करते हुए समस्त जीव,पशु ,पक्षी,पेड़,

औषधी की रक्षा का मंत्र देते हुए एक सभ्य समाज की स्थापना में अपना योगदान देता है।

आज के वातावरण में युवा वर्ग में अपने भारत देश की सभ्यता संस्कृति का ज्ञान धूमिल होता जा रहा है सत्य सनातन धर्म युगों से इस धरा पर है ।

 

मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा की सनातन धर्म के प्रतिपालक गो ब्राह्मण के प्रति पालन धर्म मूर्ति धर्म अवतार सकल गुण मर्यादा एवं सनातन परंपराओं को ऋषि परंपराओं को शिखा सूत्र संध्या कुल पूजा परंपरागत पूजा देव पूजा ऋषि पूजा कर्तव्यनिष्ठा से पालन कराते हुए हमारे पूर्वजों ने जो ज्ञान जो परंपरागत पारिवारिक पृष्ठभूमि में सनातन धर्म की रक्षा के लिए सनातन धर्म की परंपराओं के लिए जो विधि दिए गए हैं वर्तमान में भगवान परशुराम जी की वंशावली अनुसार हम सब पालन करते हैं।इसका सदैव पालन करना चाहिए जिससे हमारे संस्कार सुरक्षित रहेंगे ब्राह्मण जन ज्ञानवान ऐश्वर्यावान कीर्ति वान रहेंगे। अगर परंपरा जीवित रहेगा वंशावली जीवित रहेगी सनातन धर्म की पताका कभी कमजोर नहीं पढ़ सकती जब तक इस चराचर जगत में गंगा जी में गंगाजल रहेगा

श्री अखंड परशुराम अखाड़ा हरिद्वार से स्वामी रुद्रानंद महाराज ने कहा की देश में बालक बालिकाओ को आत्म ज्ञान के लिये शास्त्र व संस्कति की रक्षा के लिये शास्त्र का ज्ञान होना अनिवार्य है देश मे जिस तरह का माहौल बन रहा है उस से संस्कति खतरे में श्रीअखण्ड परशुराम अखाड़ा इन्ही उद्देश पर कार्य करता है।

आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने कहा की दो प्रकार की ही विद्या होती है एक शस्त्र विद्या और एक शास्त्र विद्या। शस्त्र विद्या कुछ समय बाद बुढ़ापे में इतना साथ नही देती परंतु शास्त्र विद्या जीवन से मरण तक साथ देती है। और मरणो उपरांत भी जो अध्ययन किया पाठ किया मन्त्रो का ज्ञान लिया वो परलोक में भी साथ देता है ।

जन्म से लेकर मरण तक ब्राह्मण को गुरु माना गया है जीवन के सोलह संस्कार ब्राह्मण के माध्यम से ही पूर्ण होते है। ब्राह्मण के संस्कार ईश्वरीय कृपा से उच्च है ब्राह्मण को ही दिव्ज माना जाता है ।

सनातन धर्म मे चार वेद व अठारह पुराण है। विश्व के अन्य किसी देश के धर्म में यह व्यवस्था नही है सम्पूर्ण विश्व सनातन धर्म को ही श्रेष्ठ मानता है। सनातन धर्म की गंगा ने ही सम्पूर्ण विश्व का कल्याण किया है।

पुराण उसको कहते है जो हर बार पढ़ने पर नया लगे एक नया संदेश दे।

शास्त्र उसका नाम है जो जोड़ता भी है और तोड़ता भी है। जोड़ता समाज को है और तोड़ता बुराइयों बीमारियों को है।

जीवन मे शस्त व शास्त्र दोनों का ज्ञान परम आवश्यक है।

सभा को ,स्वामी रुद्रानंद सरस्वती , लालचन्द शर्मा,जोगेंद्र पुंडीर , ओ पी वशिष्ठ, वैभव वालिया ने संबोधित कर सनातन धर्म की रक्षा करने का संदेश दिया।

श्रीअखंड परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक के निर्देशन में अखाड़े के 40 छात्रों ने शस्त्र विद्या का प्रदर्शन कर जीवन में शस्त्र विधा के ज्ञान का महत्व बताते हुए फरसे,तलवार,लाठी,

भाला,गदा आदि शस्त्रों को चला कला का प्रदर्शन कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम में विजय जोशी,अनुराग गौड़, रुचि शर्मा,सुशीला शर्मा,रचना शर्मा,वासु वशिष्ठ,विधा भारद्वाज,विकास शर्मा,जय कुमार भारद्वाज,वसुधा वशिष्ठ,अलका शर्मा,पूर्णिमा शर्मा,शक्ति सागर कौशिक,आशीष गौड़,मनीष शर्मा,राजेश शर्मा,एस पी बहुगुणा,बी एम शर्मा,एस पी पाठक,ओ पी वशिष्ठ,शशि शर्मा,राजेन्द्र शर्मा,महेशचंद शर्मा,सचिन शर्मा,आशीष शर्मा,रवि शर्मा,हरिकृष्ण शर्मा,रामप्रकाश गौतम,रुद्र शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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