देहरादून
इंटक प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट के कैम्प कार्यालय पर युवा इंटक कार्यकर्ताओं ने किसानों की अनदेखी को लेकर धरना दिया।
भारत सरकार द्वारा किसानों के हितों के विपरीत पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में 6 महीने से चल रहे संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन के समर्थन में उत्तराखंड प्रदेश राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक द्वारा एक दिवसीय काला दिवस आयोजित करते हुए केंद्र सरकार को प्रेषित मांग पत्र में निम्न बातें कही गयी हैं…
1- किसानों के हितों के विपरीत केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा जल्दबाजी में पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए।
2- श्रमिकों के हितों के विपरीत भारत सरकार द्वारा सभी श्रम कानूनों को निरस्त करते हुए श्रमिकों के प्रतिनिधियों से चर्चा किए बिना पारित ४ श्रम संहिता कोड वापस लिए जाएं।
3 – केंद्रीय एवं राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।
4 – केंद्र सरकार सभी देशवासियों को कोविड-19 महामारी के बचाव के लिए निशुल्क टीकाकरण की व्यवस्था करें।
5- भारत सरकार कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन अथवा प्रतिबंधों से प्रभावित असंगठित क्षेत्र व बंद उद्योगों के श्रमिकों, प्रवासी श्रमिकों तथा बेरोजगारों को निशुल्क अनाज और रुपया 7500 मासिक आर्थिक सहायता स्वीकृत करें।
6- सार्वजनिक एवं सरकारी उपक्रम जैसे रेलवे हवाई अड्डे बंदरगाह कोयला खाने रक्षा उत्पादन कारखाने स्टील प्लांट एमटीएनएल व तेल कंपनी बीएसएनएल की नीलामी बैंक इंश्योरेंस आज की नीलामी वह निजी करण बंद किया जाए इस संबंध में 100 सार्वजनिक चिन्हित उपक्रमों की बिक्री के लक्ष्य को मोदी सरकार तत्काल निरस्त करें।
7- देश में लोकतंत्र का गला घोटने की साजिश प्रधानमंत्री मोदी सरकार द्वारा किया जा रहा है विपक्षी दलों पर सीबीआई ईडी एनआईए वह उच्चतम न्यायालय आरबीआई चुनाव आयोग का दुरुपयोग करना बंद किया जाए
8- मोदी सरकार राज्यों में प्रतिपक्षी दलों की सरकारें भ्रष्टाचार के माध्यम से खरीद फरोख्त करके तथा सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करके गिराने की साजिश बंद करें।
9- मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के कारण करोड़ों लोगों का रोजगार छीन लिया गया लाखों लोग कोरोना महामारी मैं बिना इलाज के मृत्यु के आगोश में चले गए. देश में मोदी सरकार के गलत फैसलों से व्याप्त गरीबी से जनमानस अपने सगे संबंधियों को मजबूरी में पवित्र नदियों में बहा रहे हैं जो भारत की संस्कृति के विरुद्ध है।
10 – देश की धरोहर वह सरकारी लाभ के सार्वजनिक उपक्रमों की नीलामी जनता के हितों के विपरीत अंबानी अदानी को लाभ पहुंचाने के लिए सौंप दिए गए हैं।
11- कोरोना काल में दिन रात जनता की सेवा मैं लगे देश के डॉक्टर ,नर्स सफाई कर्मचारी एवं स्वयंसेवी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी ,आशा कार्यकत्रियों, पुलिसकर्मियों को विशिष्ट परिस्थितियों में काम करने के लिए विशेष प्रोत्साहन भत्ता दिया जाए तथा महामारी में दिवंगत कोरोना वायरस के परिवारजनो को एक करोड़ रुपये राहत और सरकारी नौकरी स्वीकृत किया जाए यह व्यवस्था कोरोना महामारी के कारण दिवंगत व्यक्तियों पर भी भारत सरकार लागू करें। इस महामारी के समय परिवहन नगर निगम ,नगर पालिका बिजली पानी तथा उत्तराखंड के उपनल कर्मचारियों पर भी लागू किया जाए।
12- कोविड-19 महामारी के इलाज को सरकार पर आर्थिक बोझ का बहाना करना और दूसरी ओर 20000 करोड़ का पार्लिमेंट भवन का निर्माण जारी रखना देश की जनता के साथ अन्याय है।
13- कोविड-19 महामारी से उत्पन्न बेरोजगारी को कम करने के लिए उत्तराखंड प्रदेश में सभी सरकारी अर्द्ध सरकारी एवं निगमों में रिक्त पदों को नियमित नियुक्तियों से भरा जाए।
14 – ईएसआई से संबंधित लगभग सभी 7 लाख श्रमिकों को करो ना महामारी में निशुल्क चिकित्सा हेतु शासनादेश जारी किया जाए।
15 – उत्तराखंड मैं श्रमिक कल्याण बोर्ड के लगभग 3.5 करोड़ की श्रमिकों के पैसों की लूट की सीबीआई द्वारा जांच की जाए।
16- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा चुनाव में किए गए अपने घोषणा पत्र की एक भी वायदा पूरा नहीं किया गया केवल तालि थाली से कोरोना का इलाज कराया जाना मात्र देशवासियों के साथ उपहास मात्र है।
17- देश के विकास के स्तंभ किसानों के साथ विगत 6 माह से मोदी सरकार उत्पीड़न उपहास करती आ रही है जिसका उत्तराखंड प्रदेश राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस पुरजोर विरोध करता है तथा 26 मई को काला झंडा लगाकर पूरे उत्तराखंड में किसान आंदोलन को व्यक्त करेगा ।
18 – मोदी सरकार ने उपरोक्त समस्याओं के समाधान पर यदि कोई शीघ्र कदम नही उठाया तो देश को उसके गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे।