सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य, अमित नेगी ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की। नेगी ने कहा कि कोविड-19 से बचाव कार्यों में धन की कोई कमी नहीं है। एसडीआरएफ, मुख्यमंत्री राहत कोष के साथ ही जिला योजना से भी जिलों को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई गई है। क्वारेंटाईन फेसिलिटी में सारी आवश्यक सुविधाएं और व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। यहां रोके जाने वाले लोगों को जरूरी चीजों की कमी न हो। स्वच्छता का भी पूरा ध्यान रखा जाए। जिलों में क्वारेंटाईन सेंटरों की मानिटरिंग के लिए एडीएम स्तर के अधिकारी को नोडल बनाया जाए। क्वारेंटाईन सेंटर में क्या-क्या सुविधाएं होनी चाहिए, उसकी लिस्टिंग कर ली जाए।
सचिव नेगी ने कहा कि कोविड केयर सेंटर (सीसीसी) बहुत महत्वपूर्ण हैं। कोशिश की जाए कि यहां अधिक स्थान उपलब्ध हो। रेड जोन से आने वालों को संस्थागत क्वारेंटाईन किया जाना है। पर्वतीय जिलों में यथासंभव टेस्टिंग को बढाया जाए। इसके लिए बूथ फेसिलिटी भी विकसित की जा सकती है। प्राईवेट अस्पतालों का सहयोग लिया जाए।
सचिव नेगी ने कहा कि जितने कार्मिकों की आवश्यकता है, आउटसोर्सिग से ले लिया जाए। इसमें विशेषज्ञ कार्मिकों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जाए। शासन स्तर पर सीसीसी, एमआईएस, लाजिस्टिक आदि के लिए नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। जिलों में भी नोडल अधिकारी नियुक्त करते हुए उन्हें सक्रिय किया जाए। जिलों में फील्ड लेवल पर जो भी कठिनाइयां आती हैं, शासन को उससे अवगत कराएं। नियमित रूप से इनपुट देते रहें। विभिन्न बिंदुओं पर डाटा संग्रहण किया जा रहा है। इस डाटा का विश्लेषण भी करें। इससे आगे की आवश्यकताओं के बारे में पता चलता है।
सचिव नेगी ने कहा कि हेल्थ स्टाफ को सुरक्षित रखना सर्वोच्च प्राथमिकता पर हो। उनके लिए व्यवस्थाएं फुल प्रूफ हों। सभी व्यवस्थाओं का निरंतर आंकलन करते हुए देखें कि कहां-कहां गैप हैं। इन गैप को दूर किया जाए। एमआईएस पोर्टल पर सारी जानकारियां देना सुनिश्चित किया जाए। वीडियो कांफ्रेंसिग में सभी जिलाधिकारियों ने अपना फीडबैक दिया।
बैठक में सचिव दिलीप जावलकर, श्रीमती सौजन्या, शैलेश बगोली, डाॅ पंकज कुमार पाण्डे, आईजी संजय गुंज्याल सहित अन्य अधिकारी और जिलाधिकारी उपस्थित थे।