आज समय डिजिटिल लाईब्रेरी का है और मेडिकल साइंस में समय-समय पर होने वाले अनुसंधानों को देखते हुए हमें डेटा बेस लाईब्रेरी विकसित करनी होगी…मीनू सिंह

देहरादून/ऋषिकेश

 

केन्द्रीय पुस्तकालय एम्स ऋषिकेश के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुक्रवार से शुरू हो गया। सम्मेलन के पहले दिन वक्ताओं ने प्रोद्योगिकी संचालित पुस्तकालयों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। इस सम्मेलन में देश के विभिन्न मेडिकल कॉलजों और अन्य संस्थानों से आए पुस्तकालयाध्यक्ष और विभिन्न कंपनियों के प्रकाशक प्रतिभाग कर रहे हैं।

हार्नेसिंग द डिजिटल स्पेस, वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन इनिसिएट एंड मेडिकल लाईब्रेरियन्स विषय पर आधारित तृतीय राष्ट्रीय सम्मेलन का एम्स ऋ़षिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह ने शुक्रवार को विधिवत उद्घाटन किया। सम्मेलन में देशभर से आए चिकित्सा और स्वास्थ्य विज्ञान के पुस्तकालयाध्यक्ष और विभिन्न कंपनियों के प्रकाशक प्रतिभाग कर रहे हैं। एम्स ऋषिकेश के केन्द्रीय पुस्तकालय और फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंस लाइब्रेरी एसोसिएशंस द्वारा संयुक्तरूप से आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि लाईब्रेरियन का किसी भी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में अहम महत्व होता है। उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि हम किस तरह से सूचना और ज्ञान का मेडिकल के क्षेत्र में उपयोग करें। वर्तमान समय डिजिटिल लाईब्रेरी का है और मेडिकल साइंस में समय-समय पर होने वाले अनुसंधानों को देखते हुए हमें डेटा बेस लाईब्रेरी विकसित करनी होगी। प्रोफेसर (डॉ. ) मीनू सिंह ने कहा कि एम्स ऋषिकेश पुस्तकालय चिकित्सा और स्वास्थ्य विज्ञान अनुसंधान के लिए मुख्य पुस्तकालय है और यह अनुसंधान सेवाओं के साथ पूरी तरह से डिजिटल भी है। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान का पुस्तकालय शोध संस्थान का केंद्र बिंदु होता है। कहा कि यह पुस्तकालय परिवर्तनशीलता और त्रुटियों को कम करने के साथ ही सभी चिकित्सकों में मानकों के अनुरूप देखभाल को बढ़ावा देने के लिए साक्ष्य आधारित चिकित्सा को बढ़ावा देने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि एविडेंस बेस्ड मेडिसिन की प्रैक्टिस में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका है।

डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने रिसर्च संस्थानों में लाईब्रेरी के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि खासतौर से मेडिकल के क्षेत्र में लाईब्रेरी को और अधिक सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है। लाईब्रेरी कोर कमेटी के अध्यक्ष प्रो.शैलेन्द्र हांडू ने सम्मेलन में पहुंचे प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए इस सम्मेलन की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से भविष्य के चिकित्सक क्लिनिकल से लेकर डिजिटल तक कई प्रकार की दक्षताओं के जानकार और कुशल होंगे। आयोजन सचिव और एम्स ऋषिकेश के सीनियर लाईब्रेरियन संदीप कुमार सिंह ने बताया कि बिना किसी एपीसी शुल्क के मेडिकल के छात्र-छात्राओं के पढ़ने तथा पुस्तकों के प्रकाशन को बढ़ावा देने के लिए एम्स द्वारा बीएमजे प्रकाशक के साथ गठजोड़ किया है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में साक्ष्य-आधारित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए इस पुस्तकालय का प्रमुख प्रकाशकों के साथ पर्याप्त गठजोड़ है। सम्मेलन को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशियल साइंस, मुम्बई की सीनियर लाईब्रेरियन डॉ. सतीश कनामाडी, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व लाईब्रेरियन डॉ. धर्मवीर सिंह, नेशनल कैंसर ग्रिड टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुम्बई की डॉ. मेधा सिंह सहित कई अन्य प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया। इस दौरान मेडिकल साइंस से संबन्धित पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर के डॉ. राजीव मन्हास व एम्स ऋषिकेश के वरिष्ठ पुस्तकालयाध्यक्ष संदीप कुमार सिंह के संयुक्त संचालन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रिंसिपल ऑफ साइंटिफिक एडवाईजर ,भारत सरकार श्रीमती राम्या हरीदासन, अपर महानिदेशक मेडिकल लाईब्रेरी दिल्ली प्रो. बी. श्रीनिवास, फेडरेशन ऑफ हेल्थ साइंस लाईब्रेरियन एसोसिएशन डॉ. पीआर मीणा, एम्स ऋषिकेश की डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सैना, वाईस डीन डॉ.मनीषा नैथानी, डॉ. रश्मि मल्होत्रा, डॉ. आशी चुग, डॉ. राकेश शर्मा, वित्तीय सलाहकार ले.कर्नल डब्लू.एस. सिद्धार्थ, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, विधि अधिकारी प्रदीप कुमार पाण्डेय, प्रशासनिक अधिकारी गौरव बडोला सहित विभिन्न प्रकाशन समूह के प्रतिनिधि शामिल थे।

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