पुलिसकर्मियों को 2006 से छठे वेतनमान दिए जाने के लिए अंडरटेकिंग लिया जाना अनुचित, विधिसम्मत क़तई नहीं…धस्माना

 

 

देहरादून

सरकार माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का करे सम्मान

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने आज राज्य के गृह विभाग पर आरोप लगाया कि राज्य के एसआई व एएसआई के पदों से नीचे के कर्मचारियों के वेतनमान के मामले में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों के अनुपालन करने में न केवल आनाकानी की जा रही है बल्कि इन कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डाल कर एक अंडरटेकिंग भी ली जा रही है। उन्होंने कहा कि गृह विभाग पुलिसकर्मियों को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार छठे वेतनमान के अनुसार वर्ष 2006 से दिए जाने के मामले में अवमानना से बेख़ौफ़ नए नए दाव पेच खेल रहा है। बीते मार्च में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा राज्य के गृह विभाग को आदेशित किया गया था कि 30 मार्च तक आईएसआई व सब इंस्पेक्टर के रैंक से नीचे के कर्मचारियों को छठे वेतनमान के तहत रिवाइज पे स्केल का लाभ एक जनवरी 2006 से मिलना चाहिए जबकि पुलिस विभाग उनको ये लाभ 12 दिसंबर 2012 से दे रहा था और एएसआई व सब इंस्पेक्टर के पदों पर यह लाभ 1 जनवरी 2006 से दिया जा रहा है जिसके विरुद्ध न्यायालय की एकल पीठ ने आदेश किया कि याचिकाकर्ताओं के पदों पर भी लाभ 1 जनवरी 2006 से दिया जाय जिस के विरुद्ध सरकार खंड पीठ पर गयी और खंड पीठ ने सरकार की अपील खारिज करते हुए एकल पीठ का निर्णय बरकरार रक्खा किन्तु सरकार ने उसका भी अनुपालन नहीं किया तो याचिकाकर्ता ने अवमानना का मुकद्दमा किया जिस पर गृह विभाग को 30 मार्च तक आदेश का पालन करते हुए एएसआई व एसआई के पदों से नीचे हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल पदों पर छठे वेतन मान का लाभ 1 जनवरी 2006 से दिए जाने के लिए कहा गया। लेकिन पुलिस विभाग अब एक अंडरटेकिंग मांग रहा है जिसके अनुसार अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी में जाती है और वहां जीत जाती है तो दिए हुए पैसे की वसूली की जाएगी। कहा कि यह अंडरटेकिंग लेना सरासर गलत है क्योंकि जब सरकार ने सभी कर्मचारियों को छठे वेतनमान का लाभ 1 जनवरी 2006 से दिया है तो हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल जो पुलिस फ़ोर्स की सबसे बड़ी ताकत होती है उसे उस लाभ से वंचित क्यों रक्खा जा रहा है। धस्माना ने कहा कि यह प्राकृतिक न्याय व विधि सम्मत है व गृह विभाग द्वारा इस प्रकार की अंडरटेकिंग लेना एकदम अनुचित व विधि विरुद्ध भी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस के बड़े अधिकारी छोटे कर्मचारियों पर अनुचित दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज इस कोरोना के संकटकाल में जमीन पर काम कर रहे इन फील्ड कोरोना वारियर्स के साथ यह सरासर अन्याय है। मुख्यमंत्री जो स्वयं गृह मंत्री भी हैं उन्हें तत्काल पुलिस के आला अधीकारियों को माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपसलन करने के आदेश देने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published.