देहरादुन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में शनिवार को वर्ल्ड ट्रॉमा डे मनाया गया।
हर वर्ष 17 अक्टूबर को वर्ल्ड ट्रॉमा डे मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य दुनियाभर में दुर्घटनाओं और चोटों के कारण होने वाली मृत्यु एवं विकलांगता की बढ़ती दर तथा उन्हें रोकने की आवश्यकता की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है।
पूरी दुनिया मे हर 6 मिनट में एक मृत्यु भारत में हर वर्ष लगभग 1.35 लाख सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.50 लाख लोग मरते हैं
70 फीसदी लोगो की उम्र 45 से कम होती है और 3 लाख विक्लांग होते हैं।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत के निर्देशन में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जिस तत्परता से कोविड-19 पेन्डेमिक का इलाज एवं रोकथाम में उत्तराखंड सहित विभिन्न प्रदेशों से आने वाले मरीजों की सेवा में दिन रात जुटा है, उसी तत्परता के साथ कैंसर एवं ट्राॅमा के मरीजों का भी प्राथमिकता से उपचार हो रहा है। कार्यक्रम का एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि ट्रॉमा के मरीजों को बचाने के लिए शुरुआती कुछ घंटे अति महत्वपूर्ण होते हैं, इसी के मद्देनजर एम्स ऋषिकेश में हैलीपैड का निर्माण किया गया है। निदेशक ने बताया कि कई ट्रॉमा के मामलों में एक ही मरीज के उपचार के लिए ट्रॉमा विभाग के साथ साथ दूसरे विभागों का भी सहयोग लेना होता है, ऐसे में मरीज को चार से पांच विभागों के एकसाथ ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रॉमा केयर देने में पूरी तरह से सक्षम है। इस अवसर पर ट्रॉमा विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद कमर आजम ने बताया कि संस्थान में निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत के पदभार ग्रहण करने के बाद ही उनकी तत्परता व अथक प्रयासों से यहां ट्रॉमा एवं इमरजेंसी सेवाएं शुरू हो पाई हैं। उन्होंने बताया कि निदेशक एम्स की पहल से संस्थान में हैलीपैड बनने के बाद यह देश का पहला मेडिकल संस्थान हो गया है जहां ट्रॉमा के मरीजों के लिए इस तरह की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि ट्रॉमा यानी ऐसी दर्दनाक घटना जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मकरूप से नुकसान पहुंचाती है, यह किसी भी कारण से हो सकती है, मसलन कोई एक्सिडेंट, परिवार के सदस्य या मित्र का निधन, तलाक, बीमारी, किसी प्राकृतिक आपदा अथवा घरेलू हिंसा आदि’ ऐसी घटनाएं वर्तमान की विषम परिस्थितियों में भी जारी हैं। ट्राॅमा सर्जरी विभाग के सहायक आचार्य एवं आयोजन सचिव डा. भास्कर सरकार ने एक अध्ययन के हवाले से बताया कि भारत में हर वर्ष लगभग 1.35 लाख सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.50 लाख लोग अपनी जान गंवा लेते हैं। ऐसी दुर्घटनाओं में जो लोग जिंदा बच जाते हैं, उन पर अलग-अलग तरह की विकलांगता के इलाज का भारी-भरकम बोझ आ जाता है। जिससे न केवल विकलांगता और मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है, बल्कि इससे राष्ट्रीय उत्पादकता भी प्रभावित हो रही है। वजह अधिकतर मामलों में युवा वर्ग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होता है। लिहाजा, किसी भी ऐसी घटना को रोकने के लिए आवश्यक सावधानी बरतनी जरुरी है। वर्ल्ड ट्राॅमा डे पर दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए जन-जागरुकता अभियान चलाया गया, जिसमें लोगों को दुर्घटनाओं को टालने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतने का सुझाव दिया गया, साथ ही ऐसी दुर्घटना की स्थिति में घायल का जीवन बचाने के लिए ध्यान में रखी जाने वाली बातों को लेकर उन्हें जागरुक किया गया। इस अवसर पर ट्रॉमा सर्जरी विभाग द्वारा एम्स ब्लड बैंक विभाग के सहयोग से आयोजित रक्तदान शिविर में फैकल्टी, चिकित्सकों व अन्य स्टाफ ने बढ़चढ़कर हिस्सा लेकर अन्य लोगों को रक्तदान महादान का संदेश दिया। बताया गया कि दुर्घटना जैसी विषम परिस्थितियों में घायलों को जीवनदान देने के लिए रक्तदान करना नितांत आवश्यक है। शिविर में 50 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। इस अवसर पर ट्रॉमा के मरीजों की केयर में सहयोग करने वाले अन्य विभागों के चिकित्सकों डा. जितेंद्र चतुर्वेदी न्यूरो सर्जरी, डा. सुशांत कुमार मीनिया ब्लड बैंक, डा. अल्ताफ मीर प्लास्टिक सर्जरी, हेमंत कुमार मेडिकल एजुकेशन विभाग, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर ट्रॉमा ओटी सिनोज पी.जे., शिखा भट्ट ट्रामा वार्ड इंचार्ज, ट्रॉमा वार्ड नर्सिंग इंचार्ज हेमा जोशी,ट्रॉमा सर्जरी विभाग की डा.रूबी कटारिया,डा.विशाल पाटिल आदि को प्रशस्तिपत्र व स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने ट्रॉमा वेबसाइट व ट्रॉमा सेंटर के निजी पत्रिका ट्रॉमा एपीसिल का उद्घाटन भी किया। कार्यक्रम में डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा, आईबीसीसी प्रमुख प्रो. बीना रवि जी,प्रो.शोभा एस.अरोड़ा, प्रो.ब्रिजेन्द्र सिंह,डीन कॉलेज ऑफ नर्सिंग प्रो. सुरेश के. शर्मा ,डा.मधुर उनियाल ,डा.अजय कुमार ,डा.अमूल्य रतन आदि मौजूद थे।