भारत में वानिकी विस्तार का सुदृढ़ीकरण विषय पर आयोजित कार्यशाला सम्पन्न,100 से अधिक प्रतिभागियों ने किया प्रतिभाग

देहरादून

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.) द्वारा शुक्रवार को देहरादून में “भारत में वानिकी विस्तार का सुदृढ़ीकरण” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में राज्य वन विभागों, भा.वा.अ.शि.प. संस्थानों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विश्व बैंक तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, किसानों, उद्योगों और अन्य हितधारकों सहित लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों के बीच वानिकी विस्तार की सर्वोत्तम पद्धतियों और अनुभवों को साझा करना और मौजूदा वानिकी विस्तार प्रणाली में फासलों और चुनौतियों की पहचान करना है। कार्यशाला में भारत में वानिकी विस्तार की क्षमता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के संभावित तरीकों पर भी चर्चा हुई। कार्यशाला का शुभारम्भ भा.वा.अ.शि.प. के महानिदेशक श्री ए एस रावत ने किया, उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत किया और वन संरक्षण एवं सतत विकास के राष्ट्रीय और वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वानिकी विस्तार के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने वानिकी विस्तार में शामिल विभिन्न एजेंसियों के बीच सहयोग और समन्वय की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

विश्व बैंक के वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अनुपम जोशी ने कार्यशाला के आयोजन में परिषद् के प्रयासों की सराहना की और आशा व्यक्त की कि यह कार्यशाला विश्व बैंक के सहयोग से परिषद् द्वारा कार्यान्वित पारिस्थितिकी तंत्र सेवा सुधार परियोजना (ईएसआईपी) के अंतर्गत वानिकी विस्तार गतिविधियों में सुधार के लिए उपयोगी इनपुट प्रदान करेगी।

डॉ. सुधीर कुमार, उप महानिदेशक (विस्तार), भा.वा.अ.शि.प. ने कार्यशाला के उद्देश्यों और एजेंडे का परिचय दिया और भारत में वानिकी विस्तार की वर्तमान स्थिति और चुनौतियों का विवरण दिया।

उन्होंने अपने विस्तार प्रभाग को मजबूत करने और विभिन्न हितधारकों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए भा.वा.अ.शि.प. द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर भी प्रकाश डाला।

डॉ. गीता जोशी, सहायक महानिदेशक (मीडिया एवं विस्तार), भा.वा.अ.शि.प. ने अपने अनुसंधान निष्कर्ष और नवाचारों को विभिन्न लक्ष्य समूहों तक प्रसारित करने के लिए परिषद् द्वारा अपनाई गई विस्तार कार्यनीतियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने परिषद् की विस्तार गतिविधियों की कुछ सफलता की कहानियां और सर्वोत्तम पद्धतियों को भी साझा किया।

डॉ. बांके बिहारी, प्रधान वैज्ञानिक, भा.कृ.अनु.प. ने कृषि अनुसंधान और विकास के लिए भा.कृ.अनु.प. द्वारा अपनाई गई विस्तार कार्यनीतियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने भा.कृ.अनु.प. द्वारा अपने विस्तार कार्य में सीखे गए कुछ सबक और चुनौतियों का भी जिक्र किया।

जगदीश चंदर, वन बल प्रमुख, हरियाणा वन विभाग और अंकित पांडे, डीसीएफ, मध्य प्रदेश वन विभाग ने वन प्रबंधन और विकास के लिए अपनी-अपनी विस्तार कार्यनीतियाँ प्रस्तुत कीं। उन्होंने अपने विस्तार कार्यक्रमों को लागू करने में अपनी कुछ उपलब्धियों और चुनौतियों को साझा किया। कार्यशाला के दौरान क्षेत्र स्तर पर वैज्ञानिक ज्ञान और प्रौद्योगिकियों के प्रभावी प्रसार के लिए अनुसंधान और विस्तार के बीच संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया गया। प्रतिभागियों को उनकी रुचि के विषयगत क्षेत्रों के आधार पर चार कार्य समूहों में विभाजित किया गया…

👉(i) वानिकी विस्तार नीति और संस्थागत ढांचा

👉 (ii) वानिकी विस्तार विधियाँ और उपकरण;

👉(iii) वानिकी विस्तार क्षमता निर्माण; और

👉(iv) वानिकी विस्तार अनुश्रवण एवं मूल्यांकन।

उचित विचार-विमर्श के बाद कार्य समूहों ने हितधारकों के साथ संबंध स्थापित करने, निरंतर वित्त पोषण सुनिश्चित करने और सतत वानिकी के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिए पर्याप्त जनशक्ति प्रदान करने की सिफारिशें की गई।

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