ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन प्रोजेक्ट की 50 किलोमीटर लंबी सुरंग तैयार,125 किमी में से 105 किलोमीटर हिस्से सुंरंगों में होकर गुजरेंगे

देहरादून/ऋषिकेश

अब तक हमने पहाड़ पर रेल चढ़ने को सपना ही माना है लेकिन ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट का काम जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है उसको देखकर लगता है कि ये सपना जल्दी सच होने वाला है।

इस रेल लाइन को लेकर निर्माण कार्य में लगे रेल विकास निगम ने 50 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर तैयार कर भी दी है। कुल 125 किलोमीटर लंबे ट्रैक में से 105 किलोमीटर के हिस्से सुरंगों के अंदर से गुजरेंगे।

रेल विकास निगम लगभग चार दिन में करीब एक किलोमीटर सुरंग का निर्माण कर रहा है। किसी भी आपदा जैसे भूकंप, बाढ़ और आग से निपटने के लिए आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की ओर से साइट स्पेसिफिक स्पेक्ट्रम स्टडी तैयार की गई है। इसे विदेशों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की ओर से जांचा परखा गया है। भूस्खलन से बचने के लिए पोरल स्टेबलाइजेशन किया गया है। सभी बातों का ध्यान में रखकर सुरंगों का डिजायन तैयार किया गया है। इस तरह सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं किया जा रहा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में कुल 17 सुरंगें होंगी। 16 सुरंग एनएटीएम (न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मैथड) और सौड़ (देवप्रयाग) से जनासू तक 14.70 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) से हो रहा है। इसके लिए आरवीएनएल ने जर्मनी में दो मशीनें बनवाई हैं, जिसमें से एक मशीन देवप्रयाग पहुंच गई है। दूसरी मशीन भी जल्द ही समुद्री मार्ग से भारत पहुंचेगी। रेलवे सुरंग के समातंर निकासी सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। कई सुरंगों को सड़क से जोड़ा जा रहा है।

बताया जा रहा है कि यहां चार प्रकार की सुरंगें बनाई जा रही हैं। रेलवे ट्रैक के साथ ही निकासी सुरंग और अन्य सुरंगों की बात करें तो अभी तक करीब 208 किलोमीटर सुरंगों का निर्माण किया जा चुका है। रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुडी ने बताया कि 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के नौ पैकेज में 80 प्रवेश द्वार होंगे। करीब 50 प्रवेश द्वार तैयार हो चुके हैं।

इस काम के लिए सभी पैकेज पर एक ठेकेदार और आरवीएनएल का एक-एक कर्मचारी तैनात रहता है। किसी भी प्रकार की आपदा से बचने के लिए सुरंगों को पूर्ण रूप से सुरक्षित बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सभी पैकेज में पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखने का प्रयास किया गया है।

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