देहरादून
भारत सरकार द्वारा 41 आयुध कारखानों को सात रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) में परिवर्तित करने के निर्णय के चार वर्ष बीत जाने के बाद भी, कर्मचारियों और सरकार के बीच यह विवाद सुलझा नहीं है। निगमीकरण के बाद से कर्मचारी संगठनों की यह स्पष्ट माँग रही है कि वे सेवानिवृत्ति तक केंद्र सरकार के कर्मचारी बने रहें।
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने DPSUs को निर्देशित किया कि वे अपनी मानव संसाधन नीतियों को अंतिम रूप दें और कर्मचारी संघों के साथ विलय पैकेजों पर चर्चा प्रारंभ करें। इसके पश्चात, आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (AVNL) ने 16 जुलाई 2025 को एक समिति गठन का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा।
इस कदम का चारों मान्यता प्राप्त संघो AIDEF, INDWF, BPMS और CDRA ने संयुक्त रूप से कड़ा विरोध किया और 21 जुलाई 2025 को रक्षा उत्पादन सचिव को एक पत्र लिखकर विलय समिति का पूर्ण बहिष्कार करने की घोषणा की। उन्होंने अपनी एकमात्र और स्पष्ट माँग दोहराई कि..
सरकार एक औपचारिक अधिसूचना जारी करे जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि डीपीएसयू में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत कर्मचारी सेवानिवृत्ति तक केंद्र सरकार के कर्मचारी बने रहेंगे।
यह भी स्मरणीय है कि मंत्रिमंडल द्वारा निगमीकरण के समय यह वचन दिया गया था कि नवगठित संस्थाओं द्वारा बनाई जाने वाली मानव संसाधन नीति किसी भी स्थिति में केंद्र सरकार के कर्मचारियों को प्राप्त शर्तों और सुविधाओं से कमतर नहीं होगी।
फिलहाल, सभी चार मान्यता प्राप्त संघ इस निर्णय पर एकमत हैं कि वे डीपीएसयू में विलय को स्वीकार नहीं करेंगे, और जब तक सरकार उपयुक्त अधिसूचना जारी नहीं करती, वे सेवानिवृत्ति तक डीम्ड प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत केंद्र सरकार के कर्मचारी बने रहना चाहते हैं।
इस अवसर पर नीरज कान्त त्यागी,राष्ट्रीय सचिव नेशनल डिफेंस वर्कर फेडरेशन,सदस्य HLCC (IOL),महामंत्री ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री कर्मचारी यूनियन देहरादून ने बताया कि
अब इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर फैसला लेने की बारी सरकार की है। रक्षा मंत्रालय क्या कदम उठाता है, इस पर देशभर के रक्षा कर्मचारियों और हितधारकों की नजरें टिकी हुई है।