देहरादून
अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी की सदस्या गरिमा महरा दसौनी ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह एवं हरियाणा की प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष शैलजा कुमारी ने अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी मुख्यालय नई दिल्ली में विगत कई दिनो से चल रहे देश व्यापी किसान आन्दोलन के मुद्दे पर संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता की।
किसानों के मुद्दे पर बोलते हुए प्रीतम सिंह ने मुख्य रूप से उत्तराखण्ड के किसानों की पीड़ा और कष्ट को साझा करते हुए कहा कि पिछले चार सालों में प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों से किये गये अपने किसी दावे और वादे पर खरी नही उतरी है। 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश के किसानों से ऋणमाफी का वादा किया गया था जिसे अभी तक पूरा नही किया गया और जिसके चलते प्रदेश के इतिहास में पहली बार 17 किसानों ने आत्महत्या कर ली और हद तो तब हो गई जब सूबे के मुख्यमंत्री ने इसे फैशन बताते हुए परिजनों को मुआवजा देने से भी इंकार कर दिया।
किसानों से आय दोगुनी करने का वादा किया गया था वो भी जुमला ही सावित हुआ है। प्रीतम सिंह ने कहा कि किसान सम्मान निधि के नाम पर पहले ही किसानों के साथ मजाक किया गया। सम्मान निधि के नाम पर किसानों को हर वर्ष 6000 रूपया देने की बात कही गई जो प्रतिदिन के हिसाब से 16 रू0 होता है उसमें भी उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले के लक्सर में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। जिसमें मात्र दो गावों की जाॅच में 185 लाभार्थी फर्जी पाये गये और करीब 15 लाख का फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिलाधिकारी की जाॅच रिर्पोट में कई किसान मृत तो कई लापता पाये गये हैं।
प्रीतम सिंह ने केन्द सरकार पर भी हमला बोलते हुए कहा कि आज एक महिने से भी अधिक समय से सर्द हवाओं में कंड़कडाती ठण्ड में खुले आसमान के नीचे अपनी माॅ समान जमीन एवं खेती को छोडकर, परिजनों से दूर देश का अन्नदाता दिल्ली बार्डर पर बड़ी संख्या में आन्दोलनरत है लेकिन केन्द्र सरकार का दिल है कि पसीजने का नाम नही ले रहा। केन्द्र की मोदी सरकार अपनी हठधर्मिता और अंहकार के चलते अपने फैसले को बदलने से इंकार कर रही है।
आंखिर किसके इशारों पर हरियाणा, सोनीपत, पानीपत एवं पंजाब में बड़ी संख्या में इन उद्योगपतियों के द्वारा भण्डारण के लिए गोदाम तैयार किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि किसानों पर थोपे जा रहे यह तीन काले कानून ना सिर्फ देश के किसान के लिए हानिकारक हैं बल्कि जन विरोधी भी हैं।
प्रीतम सिंह ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि यदि केन्द्र सरकार का यही अडियल रवैया रहा तो यह डेडलाॅक लम्बा चल सकता है। अन्न्दाताओं की दुर्दशा पर बोलते हुए। सरकारी मशीनरी के सहारे उत्तराखण्ड के किसानों को भी किसान आन्दोलन में प्रतिभाग करने से रोकने का उत्तराखण्ड सरकार ने भरसक प्रयास किया परन्तु उसके बावजूद किसानों के हौंसले कम होने के बजाय और बुलन्द हुए हैं। अन्त में दोनों ही प्रदेश कांगे्रस के अध्यक्षों ने किसानो के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करते हुए उनके आन्दोलन को समर्थन दिया। प्रेसवार्ता को उत्तराखण्ड कांग्रेस के सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं द्वारा लाइव देखा गया एवं पसंद किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रदेश अध्यक्ष के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष आरेन्द्र शर्मा, संगठन महामंत्री विजय सारस्वत एवं विशेष आमंत्रित संदस्य शिल्पी अरोड़ा भी शामिल रहीं।