पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर मसूरी में सरकारी जमीन पर कब्जे की कोशिश और पेड़ काटने के आरोप में मुकदमा दर्ज , सिद्धू बुधवार को बुलाई पत्रकार वार्ता, करेंगे कोई खुलासा या देंगे अपनी सफाई

देहरादून

पूर्व डीजीपी उत्तराखंड बीएस सिद्धू के खिलाफ जल्द ही मुकदमा दर्ज हो सकता है उन पर मसूरी में सरकारी जमीन पर कब्जे की कोशिश और पेड़ काटने का आरोप है। हालांकि सिद्धू ने कल उत्तरांचल प्रेस क्लब में बुधवार को पत्रकार वार्ता हेतु पत्रकार साथियों को इनवाइट किया है। देखना होगा कि वे क्या खुलासा करने जा रहे है।

प्रदेश के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर मार्च 2013 में वीरगिरवाली, राजपुर के आरक्षित वन क्षेत्र में भूमि खरीदने और पेड़ों का अवैध कटान के आरोप हैं। ये आरोप भी हैं कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए वन अधिनियम के तहत सरकारी काम करने वाले अधिकारियों के कार्य में बाधा डाली। उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले उन्हें 29 अप्रैल 2016 को चार्जशीट थमाई गई थी।

हालांकि सिद्धू ने अपने जवाब में चार्जशीट में लगाए गए तमाम आरोपों को नकार दिया था। इसके बाद कई जांच अधिकारी बदले गए। अक्टूबर 2019 में पूर्व आइएएस डीके कोटिया को यह जांच सौंपी गई। उनकी जांच पूरी होती इस बीच कोरोना संक्रमण के कारण लाकडाउन लग गया। वर्ष 2021 में दूसरी लहर के बाद परिस्थितियां ठीक हुई तो जांच आगे बढ़ी।

पूर्व डीजीपी सिद्धू ने वर्ष 2012 में मसूरी वन प्रभाग में वीर गिरवाली गांव में डेढ़ हेक्टेयर जमीन खरीदी इस जमीन से मार्च 2013 में साल के 25 पेड़ काट दिए गए सूचना मिलने पर वन विभाग ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि संबंधित पेड़ जिस जमीन पर हैं वह रिजर्व फॉरेस्ट है सिद्धू ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी साल के पेड़ भी काट दिए इस मामले में वन विभाग ने उनके खिलाफ जुर्माना भी काटा था बाद में जमीन पर सिद्धू के नाम की गई रजिस्ट्री भी कैंसिल की गई। इस मामले में कुछ समय पूर्व ही वन विभाग ने सिद्धू पर रिजर्व फॉरेस्ट में जमीन कब्जाने और पेड़ कटान के आरोप में आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति शासन से मांगी थी वन सचिव विजय कुमार यादव की ओर से उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति दे दी गई है।
इस मामले में वन विभाग ने सिद्धू पर आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाने को शासन से अनुमति मिलने के बाद मुकदमा दर्ज हो गया है।

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