संचार और बेहतर सम्वाद स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के मुख्य तत्व…पद्मश्री रविकान्त

देहरादून/ऋषिकेश

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में ट्राॅमा सर्जरी विभाग की ओर से संचार कौशल कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञों ने चिकित्सकों को मरीजों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने के गुर सिखाए। मेडिकल एजुकेशन विभाग परिसर में आयोजित संचार कौशल कार्यशाला का एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संचार और पारस्परिक कौशल एक अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का प्रमुख तत्व हैं। उन्होंने बताया कि कोई एक कुशल चिकित्सक में अपने विषय में गहरी दक्षता के साथ साथ मरीजों व उनके तीमारदारों से बेहतर संवाद के गुण होने भी जरुरी हैं। उनका कहना है कि बेहतर संवाद कौशल से हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में संचार विषय को स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षाओं का एक अनिवार्य हिस्सा बना दिया गया है। जिसमें मेडिकल की पढ़ाई के साथ साथ विद्यार्थियों के संवाद व संचार कौशल का भी अनिवार्यरूप से मूल्यांकन किया जाता है। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने इस तरह की कार्यशालाओं को संकायगणों व छात्र-छात्राओं दोनों के लिए फायदेमंद बताया,इससे उनमें रोगी एवं उनके पारिवारिकजनों, संबंधियों के साथ बातचीत में सहानुभूति के महत्व की बेहतर समझ विकसित होगी।
संकायाध्यक्ष शैक्षणिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि रोगियों की देखभाल में प्रत्येक दिन संचार के मूल्य को समझना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता जी ने कहा कि हम प्रत्येक स्वास्थ्य सेवा पेशेवर को इसके बारे में जागरुक और प्रशिक्षित करने का प्रयास करेंगे। एम्स ट्राॅमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद कमर आजम की अगुवाई में कार्यशाला में इस कार्यशाला के इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ हेल्थकेयर कम्युनिकेशन, नई दिल्ली की निदेशक प्रोफेसर इन्दू अर्नेजा ने संकाय सदस्यों, रेजीडेंट्स चिकित्सकों व नर्सिंग अधिकारियों को व्याख्यान व नाटकों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के संचार कौशल का प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष मो. कमर आजम, एनॉटोमी विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजेंद्र सिंह, आयोजन सचिव डा. पद्मानिधि अग्रवाल, सहायक आचार्य डा. अजय कुमार, यूएसए के प्रो. सुनील अहुजा, प्रो. अश्वथ नारायन आदि ने सहयोग किया।

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