प्रो.लेखराज उल्फत की याद में हुआ जश्ने उल्फत कई मायनों मे सफ़ल रहा..आलोक – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

प्रो.लेखराज उल्फत की याद में हुआ जश्ने उल्फत कई मायनों मे सफ़ल रहा..आलोक

प्रोफेसर लेखराज उल्फत (संस्थापक नन्ही दुनिया )के शताब्दी वर्ष के अवसर पर नन्ही दुनिया आंदोलन ने 2 नवंबर 20 19 को “जश्न ए उल्फत ” मनाया। उल्फत जी को एक प्रयोगवादी और एक महान कथावाचक के रूप में जाना जाता है। उल्फत जी ने काव्य रस के प्रभाव में आकर अपना उपनाम उल्फत रखा जिसका अर्थ है सजक सक्रिय प्रेम । अपने नाम लेखराज के साथ जाति न लिख कर वह उल्फत लिखने लगे। नाम में परिवर्तन उनके स्वतंत्र दृष्टिकोण का प्रतीक तो है ही साथ ही जाती – पाती व रूढ़ि वादी के प्रति विरोध भी प्रकट करता है ।

बात वर्ष 1940 – 45 की है जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था । भारतीय अंग्रेजों से लड़ाई लड़ रहे थे हिंसा से भी ,अहिंसा से भी। उल्फत जी भीआजादी की उस लहर से अछूते ना रह सके। बे भी क्रांतिकारी बनकर मनोवैज्ञानिक तरीकों से गुलामी के खिलाफ विद्रोह करने लगेlअतह अंग्रेजी सरकार की नजरो में आ गए । जब कुछ सोचने का अवसर ही ना था तो वह पाकिस्तान से देहरादून पहुंच गए। शांत वातावरण ने उन्हें सुरक्षात्मक अनुभूति दी ।नई परिस्थितियों ने उनकी क्रांतिकारी भावनाओं का परिवर्तन कर दिया । अनेक अनुभवों के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि बच्चा ही एक ऐसीआशा की किरण है। वह बच्चों की टोलियो के साथ में बाल सभा का आयोजन करते । कहानी सुना कर वह मानवीय रिश्ते बनाने की कला में निपुण थे। बाद में ऐसी ही 8 बच्चों की एक “बालसभा” निश्चित रूप से चलने लगी l

बच्चे ही विश्व का भविष्य है अतः बच्चों को बाल भगवान समझने वाले प्रोफेसर उल्फत ने नन्ही दुनिया बच्चों एवं उनके हितेशियों के अंतरराष्ट्रीय आंदोलन की 17 नवंबर 1946मै नींव रखी। सौभाग्य की बात है कि प्रोफेसर उल्फत जी की धर्मपत्नी साधना उल्फत जो कि बचपन से ही समाज सेवा में तल्लीन थी ,कंधे से कंधा मिलाकर निष्ठा से कार्य करने लगी।यह आंदोलन अधिक तेजी से अपने उद्देश्यों की ओर बढ़ने लगा उल्फत का कहना था, कि नन्ही दुनिया मेरी कल्पना है परंतु उसको साकार रूप देने का श्रेय साधना जी को जाता है । वह नन्हा पौधा आज अनेकों शाखाओं वाला घना वृक्ष बन गया है जो बच्चों युवाओं एवं महिलाओं के कल्याण हेतु समर्पित है।

उल्फत पूर्व प्राथमिक शिक्षा प्री प्राइमरी एजुकेशन के मूल अनुसंधानकर्ता रहे। उनके अथक प्रयतनो के पश्चात सरकार ने चाय बागान मजदूर श्रम कल्याण समितियों की शुरुआत की बाल अपराध व अपराध निरोधक कार्यक्रम का आयोजन कर सरकार का ध्यान खींचा वर्ष 1960 के दौरान राजनीति से जुड़े परंतु उनको लगा राजनीति अपने सिद्धांतों के खिलाफ समझौता करने को मजबूर करती है अतः यह मेरा रास्ता नहीं है।

उनका संपूर्ण जीवन शिक्षा के विश्व स्तरीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने में समर्पित रहा ।उल्फत वर्तमान शिक्षा को “मैकेनिकल एजुकेशन” की संख्या देखकर प्राकृतिक शिक्षा पर शोध करने पर बल देते थे । वह “भारतीय बाल विकास परिषद” के उपाध्यक्ष व महासचिव के पदों से अलंकृत रहे।

माननीय राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, रामास्वामी वेंकटरमण, पंडित शंकर दयाल शर्मा व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव, राजीव गांधी विश्वनाथ प्रताप सिंह व अनेकों शिक्षाविदों के साथ के साथ मिलकर बच्चों के लिए चहुमुखी विकास योजनाओं पर विचार करते । अनेकों योजनाओं को उन्होंने अग्रसर भी किया। उनको सरकारी व गैर सरकारी सस्थाओं द्वारा अनेक बार सम्मानित किया गया । बाल सेवा के क्षेत्र में अथक सहयोग के लिए ‘उज्जवल भविष्य के निर्माता’ के रूप में 1989 में उन्हें “नेहरू फेलोशिप” से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक ढंग से दीप प्रज्वलित करके हुई। इसके बाद किरण उल्फत गोयल द्वारा गजल तथा प्रोफेसर लेखराज उल्फत द्वारा रचित रचनाओं की प्रस्तुति दी गई।

उल्फत की संक्षिप्त जीवनी उनके नातिन सातवींका गोयल एवं ओजस्वी सोहम उल्फत द्वारा प्रस्तुत की गई। आलोक उल्फत ने ओपन माइक सेशन शुरू किया और उल्फत के प्रति अनेक लोगो ने अपने विचारों और यादों को साझा किया । नन्ही दुनिया की छात्राओं द्वारा मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया कार्यक्रम का समापन उल्फत जी के पसंदीदा व्यंजनों के साथ एक देसी खाने से किया गया। वीके गोयल ने सभी गणमान्य अतिथियों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।

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