उत्तराखण्ड में परिवहन एवम पुलिस के चालानिंग अधिकारी व जिम्मेदारी तय नहीं जिससे निरंकुशता एवं भ्रष्टाचार के मामले बढ़ रहे…विजयवर्धन

देहरादून

देहरादून सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल एवम सचिव पंकज गुप्ता ने केन्द्रीय परिवहन मंत्री नीतीश गडकरी को उत्तराखण्ड में पुलिस एवम RTO द्वारा चालान एक्ट के दुरुपयोंग को लेकर 5 बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है।

भेजे गए पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय मोटरयान अधिनियम 1988 से संशोधन वर्ष 2019 तक में परिवहन चालनिंग अधिकारी एवं पुलिस चालनिंग अधिकारी की कोई भी जिम्मेदारी तय नही की गयी है जिसके कारण निरंकुशता एवं भ्रष्टाचार बढ़ने के संबंध में भी बताया उसके अलावा  ..

👉(1) मोटरयान अधिनियम वर्ष 1988 से वर्ष 2019 तक संशोधित हुए केंद्रीय मोटरयान अधिनियम में वाहन स्वामियों, चालकों एवं परिचालकों के लिए परिवहन नियमों के बारे में लापरवाही बरतने पर नए जुर्माने एवं दंड के प्रावधान किए गए हैं

👉(2) मोटरयान अधिनियम 1988 को संशोधित करते हुए वर्ष 2019 में जुर्माने की राशि कई गुना बढ़ा दी गई हैं

👉(3) मोटर यान अधिनियम 1988 से वर्ष 2019 तक किए गए संशोधनों के उपरांत भी वर्तमान समय तक किसी भी चालानिंग अधिकारी (परिवहन या पुलिस) के चालान करने के संबंध में बरती गई लापरवाही या द्वेषपूर्ण भावना से किए गए चालान के संबंध में भारत सरकार द्वारा कोई भी जिम्मेदारी या दंड निर्धारित नहीं किया गया है। जिस कारण से भारी जुर्माना होने के कारण वाहन स्वामी चालक एवं परिचालक भयवश भ्रष्ट्राचारी अधिकारियों का आसान शिकार बन रहे हैं तथा भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला हो गया है

👉(4) केंद्रीय मोटरयान अधिनियम 1988 में संशोधन करते हुए चालनिंग अधिकारी की जिम्मेदारी भी तय की जाए तथा चालनिंग अधिकारी द्वारा गलत चालनिंग किए जाने एवं देषपूर्ण भावना से किए गए चालान पर चालानिंग अधिकारी को दिए जाने वाले दंड का जिक्र मोटर यान अधिनियम की परिभाषाओं में किया जाए।

👉(5) वाहन स्वामियों चालक परिचालक पर हो रहे शोषण को देखते हुए एक केंद्रीय शिकायत प्रकोष्ठ या हेल्प लाइन नंबर बनाया जाए जिससे कि वाहनों से संबंधित पीड़ित व्यक्ति शिकायत कर सकें इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा एवं परिवहन भी निर्बाध गति से चल सकेगा

महासंघ के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल बताते हैं कि वर्तमान में भी वाहन स्वामियों के शोषण का ज्वलंत प्रमाण यह हैं कि उत्तराखंड राज्य में बिना राज्य सरकार के नोटिफिकेशन के पुलिस द्वारा धारा 207 में गाड़ियों को सीज किया जा रहा है और केंद्रीय एक्ट 1988 एक्ट को 2019 में संशोधन से पूर्व यात्री वाहनों में यात्रियों की ओवरलोडिंग पर गलत धाराओं पर पुलिस द्वारा सैकड़ों चालान काटे जा रहे हैं।

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