देहरादून
नन्ही दुनिया बच्चों एवं उनके हितेषियो के अंतरराष्ट्रीय आंदोलन ने अपना 77 वा स्थापना दिवस हर्षो उलास के साथ मनाया।
नन्हीं दुनिया पिछले 77 वर्षों से बाल युवाओं महिलाओं की सेवा में समर्पित है इसकी स्थापना आजादी से पूर्व 1946 में प्रो.लेखराज उल्फत ने की थी। सौभाग्य की बात है कि 1953 में साधना उल्फत उनके साथ जुड़ी तो बाल सेवा के इस आंदोलन को निरंतर निष्ठा के साथ आगे बढ़ाने में सफल होते चले गए। आज यह आंदोलन अनेकों शाखाओं वाला घना वृक्ष बन चुका है।
अपना 77वा स्थापना दिवस मनाते हुए नन्ही दुनिया समुदाय के सदस्यों के साथ बच्चो ने प्रभात फेरी निकाली। वे सूरज उगने से पूर्व ही गीत गाते व कहानियां सांझा करते सूर्य दर्शन को निकल गए थे। बच्चों ने उगते हुए सूरज की लालीमा का अभिनंदन गायत्री मंत्रों के उच्चारण से किया। मनीष,अनमोल,विकास आदि ने बच्चों को पर्यावरण से संबंधित सभी सकारात्मक एवं नकारात्मक तत्वों की जानकारी दी।
तत्पश्चात नन्हीं दुनिया की मुख्य प्रवर्तक किरन उल्फत गोयल ने सभी बच्चों और नन्हीं दुनियां में आए अतिथियों के साथ हवन को संपन्न कराया।
किरण ने बताया कि पूर्णिमा,चेरी,मीना ,कशिश ने और बच्चो के साथ प्रांगण को रंगो से बहुत खूबसूरत ढंग से सजाया था।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दूसरे सत्र में रोहित बोहरा, तमन्ना,अंजली व युवराज ने नन्हीं दुनिया का परिचय दिया। बच्चो के हितैषी सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय के निदेशक एस.पी सिंह,वेद प्रकाश जैन ,विजय कुमार गोयल ने संयुक्त रूप से
दीप प्रजवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
स्कूल की अध्यापिकाओं कविता, अलका, विशाली,हिना,साक्षी, भाविका ने स्कूल के बच्चो के संग बिताए अपने अनुभव साझा किए।
इस अवसर पर स्कूल के बच्चो ने लोक नृत्य,गीत व रंगा रंग कार्यक्रमों से समा बांध दिया।
मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद एसपी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि नन्हीं दुनिया छोटी नहीं अपितु बहुत विशाल है जो बच्चों को उत्तम संस्कार दे रही है। और ये संस्कार आने वाली भावी पीढ़ी का मार्ग दर्शन करेंगे। उन्होंने इसके लिए स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों का धन्यवाद कर बधाई दी।
नन्ही दुनिया की मुख्य प्रवर्तक किरन गोयल ने समस्त प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। शाम को स्कूल में दीपमाला भी की गई।
जिसमे कई दशकों से चली आ रही गतिविधि मे बच्चो ने मोम बतियो को जलाते हुए एक विशेष आकार बनाया। जो पूरे वातावरण को आलोकित कर रहा था।
स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर एक विशेष गतिविधि बच्चो द्वारा आयोजित की गई थी जिसमे कि घरों में इस्तेमाल की हुई खाली माचिस की डिब्बी में छोटे से छोटा सिक्का डालकर सभी ने मुख्य प्रवर्तक को
उपहार स्वरूप भेंट कर आशीर्वाद लिया। बताया गया कि इस गतिविधि का एक विशेष भाव है, जिस प्रकार एक रुपए में से एक पैसा निकाल दिया जाए तो वह पूर्ण रुपया नहीं हो सकता। इसी प्रकार यदि समाज का एक भी बच्चा दुखी है तो पूर्ण समाज सुखी नहीं हो सकता। यह भाव हर व्यक्ति को हरिश्चंद्र बनाने की दिशा दिखाता हैl यह हमे याद रखना है कि हमें बच्चों का सम्मान करना सीखना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि हमारे जीवन में उनका एक अद्वितीय स्थान है।
हैपी हैप्पी बच्चे बच्चे के उच्चारण की गूज से कार्यक्रम का समापन किया गया।