देहरादून
प्रकृति और हमारे देश को मौसम के प्रतिकूल प्रभाव से बचाने के लिए हिमालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हिमालयी पर्वत श्रेणी जलवायु परिवर्तन की स्थिति तथा वर्षा आदि के लिए भी उत्तरदायी है। हिमालय पर्वत श्रेणी फूलदार, औषधीय वनस्पतियों, जीवजंतुओं एवं जैवविधिता आदि की अपार भण्डार हैं।
हिमालय के महत्व को ध्यान में रखते हुए वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा ‘‘हिमालय और प्रकृति’’ विषय पर हिमालय दिवस का आयोजन किया गया। अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद और निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान ने हिमालय के महत्व और प्रकृति के संरक्षण में उसकी भूमिका का उल्लेख किया। इस अवसर पर डा0 महाराज के0 पंडित, प्रोफेसर, पर्यावरण अध्ययन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्राकृतिक प्रयोगशाला के रूप में प्रकृति के रहस्यों को जानने के लिए व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में उन्होंने हिमालय की उत्पत्ति के विषय में जानकारी दी। हिमालय की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए उन्होंने भूभौतिकीय, भू-जैविक और सांस्कृतिक पहलुओं साथ ही उनके अंतर संबंधों का उल्लेख किया। उन्होंने विज्ञान की कहानी का उल्लेख करते हुए कहा कि विज्ञान भ्रामक प्रश्नों, संघर्षों, मृत सिरों, अंतर्दृष्टि और सामयिक रोमांचकारी छलांग से भरा है। डा पंडित ने 5वीं शताब्दी के कालीदास के हिमालय और इकबाल 20वीं सदी की कहानी का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि प्रकृति में महाद्वीपों का बहाव और स्थानान्तरण है। उन्होंने भारत में हिमालय और भौगोलिक जन्म में टेक्टो-मार्फिक और जलवायु परिवर्तन के बारे में भी बताया। उन्होंने वनस्पति प्रोफाइल के साथ विभिन्न प्रकार के जंगलों के विकास और उत्पत्ति के बारे में बताया। अंत में उन्होंने उल्लेख किया कि हिमालय और प्रकृति की रक्षा के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण होना चाहिए।
अंत में श्रीमती ऋचा मिश्रा, प्रमुख विस्तार प्रभाग, एफआरआई देहरादून द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया गया और उन्होंने महानिदेशक, भा0वा0अनु0शि0प0 और डा0 पंडित का विशेष रूप से धन्यवाद किया। साथ ही विस्तार प्रभाग के डा0 चरण सिंह, वैज्ञानिक-ई और रामबीर सिंह, वैज्ञानिक-डी का भी कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद किया।