.देहरादून
उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री की उस घोषणा पर पलटवार किया है जिसमें मुख्यमंत्री ने जनपदवार विधानसभाओं के विकास कार्यो का निर्णय लिया हैै। प्रदेश मुख्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार ने यदि इन चार वर्षो में कोई विकास किया ही नही ऐसे में समीक्षा किसकी होगी। प्रीतम सिह ने कहा कि सरकार का गठन 2017 में हो गया था उसके बाद 2018 आया 2019 आया 2020 भी चला गया इन चार सालों में सरकार सोई रही और अब विदाई का वक्त आया है तो सरकार को समीक्षा करने की याद आई है। लेकिन इससे कोई फायदा होने वाला नही है।
प्रीतम सिह ने चुटकी लेते हुए कहा कि शायद हाल में हुए सर्वे जिसमें मुख्यमंत्री पहले पायदान पर बाजी मारने में सफल हुए उसका गहरा असर मुख्यमंत्री पर हुआ है। प्रीतम सिंह ने कहा जिस सरकार के कामकाज से सत्तापक्ष के मंत्री और विधायक सन्तुष्ट नही हों उससे विपक्ष कैसे सन्तुष्ट कैसे हो सकता है। यदि सरकार ने कुछ किया हो तो हम भी गिनाते कि सरकार ने प्रदेश को कुछ सौगात देने का काम किया है। लेकिन यह सरकार तो भ्रष्टाचार में नम्बर एक, किसानों से झूठे वादे करने में न0 एक, शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार का झुनझुना पकड़ाने में न0 एक और मुख्यमंत्री भी न0 एक हैं।
प्रीतम सिंह ने सरकार की समीक्षा बैठक को दिखावा एवं जुमला करार करते हुए कहा कि यह समीक्षा बैठक भी एक मृगतृष्णा है। पिछले चार वर्षो से लचर स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रही उत्तराखण्ड की जनता अब सत्ता परिवर्तन का मन बना चुकी है। बेरोजगारों को जिस तरह से सरकार ने रोजगार के नाम पर छला है उससे उत्तखण्ड के युवा वर्ग में भारी आक्रोष व्याप्त है। किसानों के साथ काले कानूनों की आड़ में जो कुठाराघात हो रहा है वह अब देशव्यापी आन्दोलन का रूप ले चुका हैं। गरीब जनता को महंगाई और भ्रष्टाचार की चक्की में पीसने के बाद अब सरकार को समीक्षा करने की सुध आई है।
इतने लम्बे समय तक सरकार ने ना पूरे प्रदेश की उधड़ी हुई सड़कों की सुध ली और ना ही शिक्षा और स्वास्थ्य की ओर ध्यान दिया अगर सरकार का सारा ध्यान केन्द्रीत था तो वह अपनी सरकार के मंत्रियों विधायकों और अधिकारियों के सिर फुट्व्वल पर था। ऐसे में सरकार विधानसभावार विकास कार्यो की समीक्षा करने की नाट्क नोटंकी करके उत्तराखण्ड की बुद्वीजीवी जनता को भ्रमित करने का प्रयास ना करे।