दून की मशहूर लीची के सेवन से बढ़ती उम्र के लक्षण कम नजर आते हैं,आइये जानते है इसके गुण अवगुण

देहरादून

लीची की खेती देहरादून में 1890 से ही प्रचलित है 1970 के करीब देहरादून लीची का प्रमुख उत्पादक केंद्र बन गया था ।लेकिन आज इसके बचे खुचे पेड़ खुद पे आंसू बहा रहे हैं।

किसी ज़माने में देहरादून के विकास नगर, नारायणपुर, वसंत विहार, रायपुर, कालूगढ़, राजपुर रोड और डालनवाला क्षेत्र में लगभग 6500 हेक्टेयर भूमि पर इस स्वादिष्ट फल की खेती होती है। लेकिन अब लीची की खेती में भारी कमी आई है। लीची के बगीचों में पानी पहुंचाने के लिए नहरों से पानी भेजा जाता था।आज नहरे भी गायब हो चुकी हैं।

उत्तराखण्ड की राजधानी बन जाने के बाद फ्लैट कल्चर शुरू हो गया और लीची की खेतो को खा गया जिससे आज नाममात्र के पेड़ बचे रहे हैं।सरकार द्वारा इसको बचाने के प्रयास न के बराबर ही हैं।ऐसा ही चलता रहा तो आने वाली पीढ़ियों को ये फल शायद देखने को न मिले।इसके गुणों अवगुणों ओर एक नज़र डालते हैं….

रोजाना लीची का सेवन करने से बढ़ती उम्र के लक्षण कम नजर आते हैं। इसके साथ ही ठीक ढंग से शारीरिक विकास होता है। लीची में पानी की मात्रा सर्वोधिक होती है। लीची में प्रोटीन होता है। यह फल विटामिन A, B और C का अच्छा स्रोत है। इस फल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स भी मौजूद है। आयरन तत्व भी लीची में मिलता है। इस फल में कार्बोहाइड्रेट भी होता है। लीची फाइबर का भी अच्छा स्रोत है। लीची फल में बीटा कैरोटीन (Beta Carotene) नामक तत्व भी पाया जाता है।इसमे कैलोरी कम होने से वजन नही बढ़ता।लीची कब्ज नाशक फल है। पाचन को मजबूत करके पेट स्वस्थ रहता है। दिल को मजबूत और बीपी को कंट्रोल रखता है। तनाव सांस की समस्या पर भी रोक लगता है।

हालांकि लीची खाने के नुकसान भी होते हैं। इसके कारण आपको एलर्जी के साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।लीची उन लोगों में एलर्जी का कारण बन सकती है जिन्हें बर्च, सूरजमुखी के बीज और एक ही परिवार के अन्य पौधों, मगवॉर्ट और लेटेक्स से एलर्जी है।

लीची का अर्क ब्लड शुगर के स्तर को कम कर सकता है। यदि आपको डायबिटीज है और लीची खा रहे हैं तो लगातार ब्लड शुगर मॉनिटर करते रहे। आप ब्लड प्रेशर की दवाइयां खाते हैं तो ऐसे में आपको लीची खाने में सावधानी रखे।

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