देहरादून
केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट में महंगाई,बेरोजगारी किसानों के साथ पेट्रो पदार्थों में भी कोई राहत नही मिल पाई।
मंगलवार को AICC प्रवक्ता प्रो.गौरव वल्लभ ने कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बजट पर अपने विचार रखे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो वल्लभ ने कहा कि वर्तमान में 4.27 करोड़ युवा बेरोजगार है, 60 लाख से अधिक MSMEs बंद हो चुके हैं, 84 प्रतिशत परिवारों के आय पिछले वर्ष कम हुयी है, प्रति व्यक्ति आय पिछले वर्ष की ₹108,645 की तुलना में ₹107,845 रह गयी है, 4.60 लाख लोग गरीबी में धकेले जा चुके हैं। WPI मुद्रा स्फिति दर 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी है और भुखमरी में भारत का स्थान 116 देशो में 101 पर आ गया है। ऐसी स्थिति में इस बजट ने उपरोक्त वर्णित किसी भी मुददे को सम्बोधित नही किया है।
क्या उत्तराखण्ड के लाखों बेरोजगारों को कुछ मिला है तो उसका उत्तर सिर्फ और सिर्फ ‘‘नही’’ में आता है। PLI स्कीम के तहत 60 लाख नये रोजगार के सृजन का झुनझुना युवाओं को पकडानें का प्रयास किया गया है। पर मुख्य सवाल यह है कि 7 वर्ष पूर्व मेक इन इंडिया स्कीम के तहत कितने लोगो को अब तक रोजगार मिला?
क्या इस बजट ने मध्यम आय वर्ग के लोगो को टैक्स में कुछ फायदा दिया इस उत्तर भी नाकारात्मक ही है। क्योंकि फर्टिलाईजर, फूड व पेट्रोल पर मिलने वाली सब्सिडी को लगभग 27 प्रतिशत से कम किया गया है।
क्या किसानों को इस बजट में कुछ मिला है इसका उत्तर भी ‘‘नही’’ ही है। खेती पर बजट जो 2021-22 GDP का 4.3 प्रतिशत था उसे कम करकर 2022-23 मैं कम करके 3.84 प्रतिशत कर दिया गया है। और तो और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीड की हडडी मनरेगा स्कीम के तहत खर्च होने वाली रकम को भी 98 हजार करोड से 73 हजार करोड कर दिया गया। यह आम बजट न उत्तराखण्ड के युवाओं को रोजगार दिलाने में सक्षम है न ही मंहगाई को कम करने में।