देहरादून
सीएम धामी के लिए सीट की तलाश शुरू हो चुकी है। विधानसभा चुनाव 2022 में खटीमा सीट से हारे धामी को छह माह में विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है।
मुख्यमंत्री धामी के लिए सीट की तलाश के इस अभियान से कांग्रेसी खेमे में भी खासी बेचैनी नज़र आने लगी है। अब तक दो बार ऐसे मौके आ चुके हैं, जब गैर विधायक सीएम के लिए विपक्षी दल में सेंध लगाकर ही विधानसभा जाने का रास्ता बना है।
कांग्रेस मुख्यालय में शुक्रवार को सीएम के लिए सीट की तलाश का मुद्दा खासा चर्चा में रहा। कुछ कांग्रेस नेताओं ने निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के सामने अपनी इस चिंता को जाहिर किया। कांग्रेसियों का कहना था कि इस बात की काफी चर्चा है कि कोई कांग्रेसी विधायक भाजपा के संपर्क में है। यदि ऐसा हुआ तो यह काफी दुखद होगा। प्रीतम सिंह ने उन्हें आश्वस्त किया कि अब भाजपा की कोई साजिश कामयाब नहीं होने वाली है।
उत्तराखंड में ऐसी स्थिति अब तक चार बार आ चुकी है। जहां मात्र 22 साल के सफर में 12 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। हालांकि
1..एनडी तिवारी–वर्ष 2002 की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री बने एनडी तिवारी को विधानसभा का सदस्य बनाने के लिए रामनगर से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक योगंबर सिंह रावत ने सीट खाली की थी।
2.. बीसी खंडूडी– वर्ष 2007 में भाजपा सरकार के सीएम खंडूड़ी के लिए कांग्रेस विधायक लेफ्टिनेंट जनरल टीपीएस रावत (रि.) ने सीट छोड़ी थी।
3..विजय बहुगुणा– वर्ष 2012 में आई कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा भी उस वक्त सांसद थे। उनके लिए सितारगंज से भाजपा विधायक किरन मंडल ने विधानसभा सीट खाली की थी।
4..हरीश रावत– वर्ष 2014 में बहुगुणा की जगह सीएम बने रावत के लिए कांग्रेस के धारचूला विधायक हरीश धामी ने अपनी सीट खाली की थी।
मुख्यमंत्री धामी के लिए हालांकि भाजपा में ही अपनी सीट कुर्बान करने के लिए कई विधायकों के नाम सामने आ चुके हैं जिनकी संख्या भी अच्छी खासी है।
लेकिन भाजपा का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि पार्टी के विधायक के बजाए कांग्रेस के ही किसी विधायक से सीट खाली कराई जाए तो राजनीतिक रूप से ये ज्यादा अच्छा रहेगा।