महान स्वतंत्रता सेनानी व राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम एक गौरव
मै वाणी विहार जैन प्लाट मे मकान बना कर रहने लगा हूँ। जब मंगेश कुमार भाई ने आदेश दिया कि उन्हे एक लेख चाहिए तो मै उनका आदेश न टाल सका।
आज मै एक ऐसे स्वाधीनता संग्राम सेनानी एवं राष्ट्रीय धारा के प्रमुख कवि श्री राम शर्मा प्रेम के विषय मे विवरण दे रहा हूँ।
उन्होने देहरादून मे रह कर साहित्य साधना की थी। वे 1946 मे देहरादून आ गये और फिर यहीं के हो गये। यहाँ वे लक्ष्मण चौक व कांव ली रोड मे रहे। यही उन्होंने एक विशेष पत्रिका निकाली ” राग रंग” ।
और स्वाधीनता संग्राम मे जेल यात्रा की। जेल मे कविताये लिखीं।
इन कविताओं का संकलन ‘ अंगारे,,,,, छपाया। 1946 मे।
श्रीराम शर्मा प्रेम ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन मे 1946 मे जेल गये। उन्होंने दिल्ली सैंट्रल सैक्रेटिएट पर वायस राय के दफ्तर पर तिंरंगा फहरा दिया।
वही उन्हे गिरफ्तार कर लिया। उन्हे फिरोज़पुर जेल मे सश्रम कारावास की सजा हुई।
उन्होंने जेल की कोठरी मे देशप्रेम की कविताये लिखीं।
मै चला आज सागर तरने को
लेकर तरी पुरानी
जग कहता यह नादानी
देश के आजाद होने पर वे राष्ट्रीय धारा के प्रमुख कवि के रुप मे स्थापित हुए।
कविवर प्रेम की दो ओजस्वी कविताये गढ़वाल विश्व विद्यालय के बीच ए के पाठ्यक्रम मे पढाई जाती हैं _ अमर श्रीदेवसुमन व मसूरी।
सूचना जनसंपर्क विभाग की पत्रिका और शिक्षा मंत्री भक्त दर्शन जी की पुस्तक गढ़वाल की दिवंगत विभूतिया” मे गौरवशाली जिक्र हुआ है।
उनपर केन्द्रित एक रेडियो रुपक आकाशवाणी से प्रसारित हुआ ” अग्नि पुरुष ” ।
स्वाधीनता संग्राम सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि का जीवन त्याग बलिदान की जीती जागती मिसाल रहा।
सरसावा मे उनकी जीवनी का शिलालेख स्थापित है। स्वराज मंदिर मे। इसकी प्राणप्रतीष्ठा तत्कालीन राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा ने की थी।
घंटाघर देहरादून मे स्वाधीनता संग्राम सेनानी के नाम एक स्तंभ मे अंकित हैं,,, उनमे भी श्रीराम शर्मा प्रेम का सम्मानित नाम अंकित है। भारत सरकार ने उन्हें ताम्र पत्र प्रदान किया है।
देश भर के महान साहित्य कारो ने कविवर प्रेम जी पर संस्मरण लिखे है। उनके साथ उनके दुर्लभ चित्र है। वे राहुल सांकृत्यायन, कवि सूर्य कांत त्रिपाठी निराला। राष्ट्रीय कवि रामधारी सिह दिनकर, सोहनलाल द्विवेदी सोम ठाकुर श्रीदेवसुमन, सत्य प्रसाद रतूड़ी धन्श्याम शैलानी वरिष्ट पत्रकार राधाकृष्ण कुकरेती सम्पादक गोपेश्वर कोठियाल गंगा प्रसाद विमल हरिदत्त भट्ठ शैलेश कवि मनोहरलाल उनियाल श्रीमन आदि के साथी रहे हैं।
वे उत्तराखण्ड के गौरव है । इन्हे जय श्री सम्मान प्रदान किया गया था।
जयप्रकाश पंवार जे पी ने उनपर विशेष डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी ।
एन एस एस और सेवा दल व सरस्वती शिशु मंदिर मे उनका प्रसिद्ध गीत गाया जाता है देश भर मे _”””
करो राष्ट्र निर्माण बनाये
मिट्टी से अब सोना”।
स्वाधीनता संग्राम सेनानी और राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम के व्यक्तित्व कृतित्व पर पांच ग्रंथ प्रकाशित हुए है जिनका संपादन जनकवि डा अतुल शर्मा ने किया है और सह संपादन कहानीकार रेखा शर्मा व कवयित्री रंजना शर्मा ने किया है।
वे दिल्ली लालकिले के राष्ट्रीय कवि सम्मेलन ने निरंतर आमंत्रित किये जाते थे।
नयी पीढ़ी मे रविन्द्र जुगरान धरातल संस्था के माध्यम से विशिष्ट कार्य करते रहे हैं।
इतिहास कार जयप्रकाश उत्तराखण्डी ने अपनी पुस्तक मसूरी दस्तावेज मे कविवर प्रेम की कविता ” मसूरी’ प्रथम पृष्ठ पर छापी है। प्रधानाचार्य सैंटर स्कूल भाई अमिताभ शर्मा ने उनपर लघु शोध भी किया है।
उनके नाम पर प्रतिवर्ष श्रीराम शर्मा प्रेम सम्मान प्रदान किया जाता है।
सौ वर्ष पहले लिखी कविता आज भी प्रासंगिक हैं,,,,,
_ वाणी विहार जैन प्लाट देहरादून