देहरादून/मुंबई
प्रजा फाउंडेशन ने अपना पहला शहरी शासन सूचकांक (यू.जी.आई.) 2020 जारी किया। इस शहरी शासन सूचकांक के तहत, राज्यों को स्थानीय स्वशासन और मौलिक लोकतंत्र के वास्तविक सशक्तिकरण के आधार पर रैंकिंग की गई है।
74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के अंतर्गत शहरी सरकारों का गठन अनिवार्य है और भारत के संविधान की बारहवीं अनुसूची में उल्लिखित 18 कार्यों को शहरी सरकारों को हस्तांतरित किया गया है। लेकिन, 25 से अधिक वर्ष होने पर भी, देश में हस्तांतरण और शहरी शासन सुधारों का कोई मानचित्रण नहीं हुआ है। इस दिशा में, प्रजा ने देश में शहरी शासन सुधारों के कार्यान्वयन का मानचित्रण और निरीक्षण के लिए अपना पहला शहरी शासन सूचकांक (यू.जी.आई.) जारी किया हैश्, प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रबंधक ट्रस्टी निताई मेहता ने कहा।
शहरी शासन में सुधारों की आवश्यकताध्जरूरत को पहचानते हुए, प्रजा ने तीन वर्षों (2017.2020) में, 28 राज्यों और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.टी) में 40 शहरों का दौरा करते हुए शहरी शासन सुधार का अध्ययन किया। इस अध्ययन में कुल 1568 साक्षात्कार किये गये जिनमें शहर के निर्वाचित प्रतिनिधि (ई.आर), शहर के प्रशासक और शहर आधारित सी.एस.ओ जैसे प्रमुख हित.धारक शामिल थे ।
यू.जी.आई में चार प्रमुख विषय हैं, जिन्हें 13 उप.विषयों में विभाजित किया गया है जिनमें कुल 42 संकेतक हैं। विषय मुख्य रूप से शहरी शासन के संरचनात्मक पहलुओं पर केंद्रित हैं। चार विषयों में शामिल हैंरू सशक्त स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधि और विधायी संरचनाय सशक्त नगर प्रशासनय सशक्त नागरिक और राजकोषीय सशक्तिकरण। यू.जी.आई के इस निर्माण का उद्देश्य, शहरी शासन के विकेंद्रीकरण के स्तर को समझना हैश्,प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के ने कहा। म्हस्के ने आगे कहा किए यू.जी.आई ने 28 राज्यों और दिल्ली के एन.सी.टी में से कुल 29 शहरों को क्रमांकितध्रैंक किया है।
ओडिशा (56.86%), महाराष्ट्र (55.15%)ए छत्तीसगढ़ (49.68%), केरल (48.77%) और मध्य प्रदेश (45.94%) ने शीर्ष 5 रैंक प्राप्त किए। झारखंड (21.72%), अरुणाचल प्रदेश (21.32%), मेघालय (14.82%), मणिपुर (14.63%) और नागालैंड (13.37%) सूचकांक के अनुसार निचले 5 राज्य रहे हैं।
सूचकांक में क्रमांकन एक सापेक्ष क्रमांकन है, लेकिन अगर हम पूर्ण अंक देखें तो शीर्ष 5 राज्यों में से किसी को भी 57 से अधिक अंक नहीं प्राप्त हुए हैं। अधिकांश राज्यों ने 42 संकेतकों में सबसे कम अंक हासिल किए है। इससे पता चलता है किए पूरे भारत में शहरी शासन सुधारों और शहर की सरकारों के सशक्तिकरण की जरूरत है।
प्रभात कुमार, अध्यक्ष, आई.सी सेंटर फॉर गवर्नेंस (आई.सी.सी.एफ.जी) झारखंड के पूर्व और प्रथम राज्यपाल और भारत सरकार के पूर्व कैबिनेट सचिव ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय शासन के सरलीकरण और सशक्तिकरण का विषय फीका पड़ गया है । संविधान (74 वें संशोधन) अधिनियम, 1992 के बावजूद, शहरों में कई मुद्दे है जो पर्यावरण और लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं । हम जानते हैं किए लोगों को पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं और कुशल सेवाएं प्रदान करने के लिए शहरी शासन का सशक्तिकरण मौलिक है। अतः अब, समय आ गया है कि हम समाधान विकसित करें।
शहरी शासन सूचकांक से मुख्य बातें नीचे दी गई हैं ….
👉शहरी शासन सूचकांक (यू.जी.आई) के अंतर्गत, ओडिशा 56.86 अंकों के साथ पहले स्थान पर रहा। महाराष्ट्र 55.15 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर, छत्तीसगढ़ 49.68 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर, केरल 48.77 अंकों के साथ चौथे स्थान पर और मध्य प्रदेश 45.94 अंकों के साथ पांचवें स्थान पर रहा।
👉 पांच राज्य झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और नागालैंड, 20 से कम अंकों के साथ सबसे निचले स्थान पर हैं ।
👉 केरल राज्य में, 30 में से 18.63 अंकों के साथ, सबसे अधिक सशक्त शहर के निर्वाचित प्रतिनिधि और विधायी संरचना है।
👉29 राज्यों में से तमिलनाडु में, 15 में से 5.83 अंकों के साथ, सबसे अधिक सशक्त शहरी प्रशासन है।
👉29 राज्यों में से ओडिशा, 25 में से 19.50 अंकों के साथ, सशक्त नागरिकों में पहले स्थान पर रहा।
👉 30 में से 21.15 अंकों के साथ, महाराष्ट्र और केरल दोनों, राजकोषीय सशक्तिकरण में पहले स्थान पर रहे।
👉किसी भी राज्य ने, भारत के संविधान की बारहवीं अनुसूची में उल्लिखित सभी 18 कार्यों को, शहर की सरकारों को हस्तांतरित नहीं किया है ।
👉 24 शहरों में से 9 शहरों में, स्मार्ट सिटी , बोर्ड के सदस्य के रूप में शहर की सरकारों से कोई निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है।
मेहता ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा किए अपर्याप्त अवसरंचना और सेवा वितरण के मुद्दे, भारत के शहरों को अपनी वास्तविक आर्थिक क्षमता को प्राप्त करने से बाधित करते रहते हैं । इसमें बदलाव लाने के लिए, हमें लोकतांत्रिक सशक्तिकरण और शहरी सरकारों की जवाबदेही और नागरिक जुड़ाव के माध्यम से शहरों में मौलिक लोकतंत्र का विकास करना चाहिए । यह सूचकांक शहरी शासन सुधारों के कार्यान्वयन, जो देश के सभी राज्यों में शहरी शासन में लोकतांत्रिक सशक्तिकरण और जवाबदेही को देखता है, उसके मानचित्रण और अनुवीक्षण करने में मदद करेगा। केंद्र और राज्यों को शहर की सरकारों के सशक्तिकरण पर चिंतन करना चाहिए, जिसके लिए यू.जी.आई एक प्रभावी उपकरण होगा।
शासन में उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता को पुनः स्थापित करने के लक्ष्य के साथ वर्ष 1997 में प्रजा का गठन किया गया था। स्थानीय सरकार में जनता की घटती अभिरुचि की समस्या को ध्यान में रखते हुए प्रजा नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए प्रयासरत है, और इसलिए उन्हें ज्ञान के माध्यम से सशक्त बनाना चाहता है ।
प्रजा का मानना है किए लोगों के जीवन को सरल बनाने और भागीदारी को प्रोत्साहित करने की दिशा में जानकारी की उपलब्धता का अहम योगदान है। यह एक समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए सुशासन कायम करने की दिशा में निर्वाचित प्रतिनिधियों तक जनता के विचारों को पहुँचने को सुनिश्चित करना चाहता है। इसके साथ.साथ ऐसी युक्तियाँ और तंत्र भी अवश्य मौजूद होने चाहिए, जिसकी मदद से जनता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किये गए कार्यों पर कड़ी नजर रखने में सक्षम हो सके। लोगों के जीवन को सरल बनाना, तथ्यों के माध्यम से जनता एवं सरकार को सशक्त करना तथा भारत की जनता के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए परिवर्तन की युक्तियों का निर्माण करना प्रजा के लक्ष्य रहे हैं। प्रजा लोगों की भागीदारी के माध्यम से एक जवाबदेह एवं कार्यक्षम समाज के निर्माण हेतु प्रतिबद्ध है ।